मधेपुरा की राजनीति में आये भूचाल और राजद के दो
खेमे में बंटने के बाद कुछ नेताओं का अवसरवादी चरित्र भी उभर कर सामने आ रहा है.
सांसद समर्थकों की बैठक हो या
राजद की अलग से बैठक, मधेपुरा के कुछ राजद नेता दोनों की बैठकों में उपस्थित रहते
हैं. इन नेताओं की विवादस्पद उपस्थिति कई लोगों की समझ से बाहर है. राजनीति के
जानकारों का मानना है कि ये दोनों नाव पर पैर रखे हुए हैं, जिससे कि जिस नाव को
डूबता हुआ देखेंगे, लपक कर दूसरे सुरक्षित नाव पर कूद जायेंगे. शायद ये नेता इस ताक में
भी हैं कि जिधर से अधिक लाभ का ऑफर मिलेगा उधर ही खिसक लेंगे. राजनीति में नैतिकता
से लेना-देना ही क्या है? हैरत की बात ये भी है कि यदि एक ही दिन में सांसद की तरफ
से बयानबाजी होती है तो ये ‘महान आत्मा’ उधर से ही समर्थन में सर हिलाते नजर आते है और फिर उसी दिन
राजद के दूसरे खेमे में जाकर समर्थन दे आते हैं. यानि ‘टोटली कन्फ्यूज्ड’? वैसे दो नाव पर सवार लोगों की
कभी-कभी बड़ी दुर्गति भी हो जाती है जब दोनों नाव बिना संभलने का मौका दिया तेजी से
विपरीत दिशा में चल पड़ती है. वैसे स्थिति में ये कहीं के नहीं रह जाते हैं.
वैसे भी
दुनियांभर में अधिकाँश नेताओं की अवसरवादिता को देखकर ही किसी ने शायद सच ही कहा
है,’ दे आर नाइदर लेफ्टिस्ट,
नॉर राइटिस्ट, बट वनली अपरचुनिस्ट’.
(वि० सं०)
राजद में दरार, कई नेता दो नाव पर सवार: दोनों की बैठकों में शामिल हो हिलाते हैं सर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 16, 2015
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