दागी नेताओं को बचाने का अध्यादेश: अवमानना का मामला !

 भ्रष्टाचार के तमाम गंभीर आरोपों के संरक्षण में संलिप्त केन्द्र की यूपीए सरकार अब लोकतांत्रिक मर्यादाओं के तमाम सीमाओं को तोड़ने पर आतुर हैं. एक अध्यादेश के द्वारा दागी एवं आरोपी जनप्रतिनिधियों को बचाने का हालिया प्रयास इसका स्पष्ट उदाहरण है. हालांकि गेंद अब महामहिम राष्ट्रपति के पाले में हैं किन्तु कई बुद्धिजीवियों की राय है कि इस अध्यादेश को पुन: विचारानार्थ वापस लौटाई जानी चाहिए.
      जिस नियत से और जिस परिस्थिति में जल्दीबाजी कर यह अध्यादेश लाया गया है उसे अवमानना कि संज्ञा दी जा सकती है और केन्द्र सरकार को इसके लिए कटघरा में खड़ा होना पड़ेगा.
      माननीय उच्चतम न्यायालय का आदेश वर्तमान क़ानून के और परिस्थिति के सन्दर्भ में है जिसे अध्यादेश के जरिये पलटा नहीं जाना चाहिए. मेरे विचार से एक संशोधित क़ानून बनाकर ही इसे प्रभाव में लाना चाहिए.
      हमारे देश में क़ानून के समक्ष समानता का अधिकार सबों को है. कल को सरकारी सजावार अधिकारी भी उनके वाजिब नौकरी पर पदस्थापन की मांग करेंगे या आपराधिक सजा के दौरान भी तनख्वाह की अपेक्षा करेंगे. ऐसे में इस महान लोकतंत्र का क्या भविष्य होगा इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.
      लोगों की राय है कि केन्द्र सरकार लोकतंत्र के बजाय नेतातंत्र स्थापित करना चाहते हैं और देश को विद्रोह की ओर अग्रसर करना चाहते हैं. वैसे भी कांग्रेस में जमीनी नेता का अकाल पड़ गया है और आउटसोर्स नेताओं के सहारे पार्टी चलाया जा रहा है जिसके लिए मात्र स्वयं का हित ही सर्वोपरि है. लोगों की मानें तो इन्हीं भ्रष्टाचारी नेताओं की वजह से हमारे पड़ोसी देश हमेशा हमें आँखें दिखाते रहते हैं. इस अध्यादेश की मंजूरी से जहाँ देशवासियों का मनोबल घटेगा, पड़ोसियों की बांछे खिल उठेगी.
      खेद की बात यह है कि इन्हीं दागी और आरोपियों के कारण भले और ईमानदार लोग राजनीति से दरकिनार होते जा रहे हैं और अवांछित लोग इसमें प्रवेश पा रहे हैं. जाहिर है इन तमाम परिस्थितियों पर महामहिम जी अवश्य गौर फरमाएंगे. हालांकि उनका भी राजनीतिक परिवेश रहा है किन्तु अब वे महान लोकतंत्र के शीर्ष पद पर हैं. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)
देव नारायण साहा
अधिवक्ता सह पत्रकार, मधेपुरा
दागी नेताओं को बचाने का अध्यादेश: अवमानना का मामला ! दागी नेताओं को बचाने का अध्यादेश: अवमानना का मामला ! Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 26, 2013 Rating: 5

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