न्यायिक कर्मियों के हड़ताल से कोर्ट में काम काज ठप्प, चार सूत्री मांगों के समर्थन में उतरे कोर्ट कर्मी
बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर आहूत अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल के कारण गुरुवार को सिविल कोर्ट मधेपुरा में लगभग सभी न्यायिक कार्य पूरी तरह से बाधित रहा.
जहाँ कोर्ट में अधिवक्ता मौजूद दिखे वहीं तमाम न्यायिक कर्मी अपनी मांगों के समर्थन में कोर्ट परिसर में ही बैनर पोस्टर के साथ नरेबाजी करते तैनात दिखे. वहीं दूसरी ओर हड़ताल से अनभिज्ञ दूर दराज से आये ज्यादातर वैसे लोग जिन्हे कोर्ट में चल रहे अपने केस में हाजरी, पैरवी, गवाही, जमानत से सम्बंधित अपील सहित अन्य कोई भी न्यायिक कार्य सम्पादित करवाना था, उन्हें निराश लौटना पड़ा.
न्यायिक कर्मियों की माने तो अपनी चार सूत्री मांगो के समर्थन में उनके द्वारा जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल तब तक जारी रहेगा जब तक कि उनकी सभी मांगें पूरी नहीं की जाती है. मालूम हो कि 16 जनवरी से सिविल कोर्ट के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्ग के न्यायिक कर्मी अपनी चार सूत्री मांगो के समर्थन में अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल पर हैं. इस संबंध में न्यायिक कर्मियों का एक प्रतिनिधिमण्डल चारसूत्री मांगो से सम्बंधित लिखित प्रतिवेदन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को हड़ताल से पूर्व ही सौंपकर अपनी मांगो से अवगत करा चुके थे.
उन्होंने जिला जज को प्रस्तुत किये गए अपने मांग पत्र में स्पष्ट किया है कि उनकी चार सूत्री मांगो के पूरा नहीं होने तक सभी न्यायिक कर्मी अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल पर रहेंगे. उनकी मांगों में वेतन विसंगति को अविलम्ब दूर करना, सभी तृतीय और चतुर्थ कर्मचारियों की शीघ्र पदोन्नति, न्यायिक कर्मियों के आश्रितों को शत प्रतिशत अनुकम्पा का लाभ और कर्मियों के लिए विशेष न्यायिक कैडर लागू करना शामिल है.
वहीं सभी न्यायिक कर्मी पूरे दिन कोर्ट परिसर में बैनर पोस्टर के साथ नारेबाजी कर हड़ताल पर डटे रहे. हड़ताल से लोगों के बीच काफ़ी परेशानी देखी गई. लोगों ने बताया कि उन्हें हड़ताल की कोई जानकारी नहीं थी, अन्यथा वो अपना न्यायिक कार्य संपादन के लिए कोर्ट नहीं आते.
(विधि संवाददाता)

No comments: