बिना अनुराग के ईश्वर की प्राप्ति असंभव: देवराहाशिवनाथदास

परमपूज्य त्रिकालदर्शी, परमसिद्ध,विदेह संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज का मधेपुरा के आलमनगर में भव्य स्वागत किया गया। विदित हो कि संतश्री के नेतृत्व में आलमनगर के नन्दकिशोर माधवान्द उच्च विद्यालय के बाबा सर्वेश्वर नाथ मंदिर प्रांगण में आगामी 11मार्च से 15 मार्च तक होने वाले श्रीविष्णु महायज्ञ को सम्पन्न कराने के लिए आये हैं। इसके बाद श्रद्धालुओं ने संतश्री की पूजा अर्चना की।पूजा अर्चना के बाद संतश्री ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि 

।।हरि व्यापक सर्वत्र समाना।।

।।प्रेम से प्रकट होहिं मैं जाना।।

संतश्री ने आगे कहा कि ईश्वर व्यापक है।उसे प्रकट करने के लिए हमें उनके नाम का सच्चे दिल से संकीर्तन करना चाहिए।सभी जीवों से प्रेम करना चाहिए क्योंकि वह कण-कण में व्याप्त है।प्रेम से वह प्रकट हो जाते हैं।देश ,काल,दिशा,विदिशा ऐसी कोई जगह नहीं है, जहाँ हमारे प्रभु नहीं है। संतश्री ने आगे कहा कि एक लकड़ी हृदय है और एक लकड़ी राम का नाम। जैसे दो लकडिय़ों के परस्पर रगड़ से अग्नि प्रकट हो जाती है। उसी तरह से हृदय से बारंबार भगवान का नाम लेने पर भगवान प्रकट हो जाते हैं। संतश्री ने रामचरित मानस के दोहे के द्वारा श्रद्धालुओं को समझाया कि

।मिलहिं न रघुपति बिनु अनुरागा।

।किए जोग जप तप ज्ञान बिरागा।

संतश्री ने कहा कि हमारे धर्म शास्त्र में भी स्पष्ट उल्लेखित है कि हम चाहे जोग, ज्ञान, जप,तप,और वैराग्य को कितना भी क्यों न अपना लें।परन्तु जब तक हमें उनके(ईश्वर)के श्रीचरणों में दृढ़ प्रीति नहीं होगी, तब तक हमें उनकी प्राप्ति कभी नहीं हो सकती।वहीं इस दौरान विनोद महंत, राजेश कुमार, प्रभास कुमार, डॉक्टर पंकज, राजप्रकाशजी,मुन्ना सिंह, पिंटू सिंह, शंभु सिंह, मनोज यादव,ब्रजेश कुमार,हनुमानजी, अलख बाबा,सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।

(रिपोर्ट: प्रेरणा किरण)

बिना अनुराग के ईश्वर की प्राप्ति असंभव: देवराहाशिवनाथदास बिना अनुराग के ईश्वर की प्राप्ति असंभव: देवराहाशिवनाथदास Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 21, 2021 Rating: 5

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