

आज सुबह एक छात्र की शिवगंगा में डूबने से मौत होने के बाद फिर से मंदिर प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवालिया निशान लग रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज के गाढ़ा गाँव के रहने वाले सत्यम कुमार सोनू की डूबने से उस समय मौत हो गई जब वह पोखर के किनारे गया और कजली पर फिसलकर गहरे पानी में चला गया. बताते हैं कि सोनू जिला मुख्यालय के सीएम सायंस कॉलेज में बी.ए. फायनल ईयर का छात्र था और इधर सिंहेश्वर थाना क्षेत्र के गौरीपुर अपने मौसा महेंद्र साह के घर कॉलेज से मिलने वाले छात्रवृत्ति का फॉर्म भरने आया हुआ था. आज सोनू अपने मौसेरे भाई के साथ मंदिर आया तो भाई दंड प्रणाम करने चला गया और सोनू पोखर के पास चला गया. बताते हैं कि शिवगंगा के घाट पर मौजूद कजली पर पाँव पड़ने से वह फिसल कर पोखर में जा गिरा और डूब गया.
मंदिर प्रशासन कितनी लापरवाह है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हाल में कई मौतों के बाद भी पानी में कड़ी या रस्सी का कोई ‘डिमार्केशन’ या ‘बैरिकेटिंग’ नहीं लगाया जाता है. घाटों की स्थिति दयनीय है और अगल-बगल अक्सर गंदगी का जमावड़ा रहता है. एक और बात सामने आई है कि कई जगह घाट से उतरते ही सीधे गहरा पानी है, जबकि धार्मिक स्थलों के पोखर स्नान के लिए ही होते हैं और पोखरों में घाट की तरफ से पानी कम से ज्यादा रखा जाता है. पर कहते हैं कि प्रशासन इस मामले में हमेशा लापरवाह रहा है और शिवगंगा में मौतें आश्चर्य नहीं है.
वैसे सिंहेश्वर के अंचलाधिकारी भी कम नहीं हैं. सोनू की मौत पर कहते हैं कि अब डूबा गया या कोई उसे डूबा दिया इसपर जांच हो रही है. तो सीओ साहब सोनू की मौत पर एफआईआर क्यों नहीं करवा देते, क्योंकि ऐसी जांच या अनुसंधान तो पुलिस पदाधिकारियों के द्वारा ही की जानी चाहिए. जो भी हो, पहले यदि गंभीर नहीं भी हुए तो अब सोनू की मौत के बाद अपनी कमी भी दूर करे मंदिर प्रशासन.
शिवगंगा बनी मौतगंगा: कॉलेज के छात्र की डूबने से मौत
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 14, 2015
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