माफ कीजिए, मधेपुरा के अधिकाँश लोगों को न तो ट्रैफिक सेंस है और न ही सिविक सेन्स

जी हाँ, ये मधेपुरा है और कई मामले में जहाँ कुछ ही लोगों की वजह से यह तरक्की की राह पर है वहीं यहाँ के अधिकाँश लोग राह पर न तो चलना जानते हैं और न ही वाहन खड़ी करना. और इन नामुरादों की वजह से काम के लोग मुश्किलों में फंसते रहते हैं.
      मधेपुरा में आप किसी भी सड़क से होकर गुजर जाइए, कई जगहों पर दोपहिया और चारपहिया वाहन कुछ इस तरह से लगे मिलेंगे मानो उन वाहन मालिकों ने सड़क ही रजिस्ट्री करा ली हो. दूसरे वाहन उस बेढंगे वाहन की वजह से पीछे से हॉर्न बजाते रहते हैं, पर उस बेढंगे वाहन के बेढंगे मालिक को शायद इससे कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आता है. लंबे समय तक गुंडों और लफंगों के वर्चस्व में रहे इस जिले में अभी भी कईयों की ताव उसी तरह की नजर आती है.
      अन्य मामलों में भी यहाँ के अधिकाँश लोगों को सेन्स का पता नहीं है. अपना काम निकल जाय, बस इसी चक्कर में रहते हैं, भले ही दूसरों को इससे परेशानी हो जाय. और जाहिर है जब ऐसे के लोग जिन्हें सेन्स नहीं होगा तो वे सेंसिटिव कैसे होंगे. सीधी बात है कई मामलों में मधेपुरा के अधिकांश लोगों को सुधरने में अभी लंबा वक्त लग सकता है.
(नि० सं०)
माफ कीजिए, मधेपुरा के अधिकाँश लोगों को न तो ट्रैफिक सेंस है और न ही सिविक सेन्स माफ कीजिए, मधेपुरा के अधिकाँश लोगों को न तो ट्रैफिक सेंस है और न ही सिविक सेन्स Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 16, 2014 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.