जिले में विकास को यदि गौर से देखा जाय तो उल्लेखनीय
कम बातें ही आपको देखने को मिलेगी. अब इस गाँव को ही लीजिए, यह गाँव मधेपुरा जिला
मुख्यालय से महज एक किलोमीटर ही दूर है पर विकास यहाँ से कोसों दूर है. सरकारी
योजनाओं के अधिकारी-ठेकेदार की भेंट चढ जाने की दास्ताँ कह रही है इस गाँव के
हालात.
मधेपुरा
प्रखंड में जिला मुख्यालय के पास आर.पी.एम. कॉलेज के सामने का गम्हरिया गाँव आज भी
किसी उद्धारक की बाट जोह रहा है. इस गाँव की सड़क पर चलना तो मुश्किल होता ही है और
और यदि बारिश हो जाय तो फिर ये सड़क नहीं, दलदल बन जाता है. मधेपुरा-सुखासन मुख्य
मार्ग से जब आप इस गाँव की तरफ मुडेंगे तो घुसने के साथ ही आपको यहाँ के विकास का
अंदाजा लग जाएगा. एक छोटी सी पुलिया सरकारी योजना में चल रही अनियमितता दर्शाने के
लिए काफी है.
पर गाँव
के लोगों की समस्या यहीं नहीं खत्म हो जाती. यहाँ बिजली की सुविधा भी नदारद है.
सुशासन में भी लोग यहाँ लालटेन युग में जीने को विवश हैं. बताते हैं कि गाँव वालों
ने दर्जनों बार जिला प्रशासन और बिजली विभाग के कार्यालयों के चक्कर लगाये, पर
विभाग को ‘खुश’ न कर सके. नतीजा यह गाँव सड़क और
बिजली विहीन बना हुआ है.
प्रशासन
के सौतेले व्यवहार से आजिज होकर गाँव वालों ने हाल में यहाँ मुख्य सड़क को जाम भी
कर दिया था. पर वही बात. प्रशासन के अधिकारी यहाँ आये और आश्वासन देकर चले गए.
समस्या जस की तस बनी रह गई. अब गाँव वाले धरना और फिर आमरण अनशन करने के बारे में
सोच रहे हैं.
(रणधीर प्रकाश, गम्हरिया की
रिपोर्ट पर आधारित)
जिला मुख्यालय से दूरी एक किलोमीटर, पर इस गाँव में न तो है बिजली और न ही सड़क
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 17, 2014
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