राकेश सिंह /21/10/2012
बिहार सरकार की प्रगतियों में एक बड़ी प्रगति है सूबे
में पियक्कड़ों की संख्यां में भाड़ी वृद्धि होना. गली-गली में शराब की दुकानें
खुलवा कर सरकार राज्य का कौन सा विकास करना चाहती है ये बात बहुतों की समझ से बाहर
है. मर्दों की दारूबाजी ने घर की औरतों का जीना हराम तो कर ही रखा है और अब शराब
माफियाओं का मनोबल इस सरकार में इतना बढ़ चुका है कि वे खून-खराबे पर भी उतारू रहते
हैं.
अब
तो राज्य में जगह जगह पियक्कड़ ‘गुड मॉर्निंग’ और ‘गुड इवनिंग’ कहकर आपका स्वागत करते सड़कों के किनारे भी मिल जायेंगे. हालांकि
इस मामले में मधेपुरा पुलिस प्रशासन बेहद गंभीर है और कई दर्जनों शराबियों को हवालात
की हवा खिलाकर उनकी जेबें कानूनन ढीली करवा चुकी है. पर राज्य के अधिकाँश हिस्सों में
‘दारू जिंदाबाद’ है. पियक्कड़ों ने प्रशासन की नाक
में दम कर रखा है. उनके तर्क के सामने में प्रशासन के लोग चुप हो जाते हैं. कहते हैं
सरकार ने इतनी दुकानें किसलिए खोल रखी हैं? नीतीश जी खुद कहते हैं जिन्हें पीना है
उन्हें कोई नहीं रोक सकता. तो आप हमें क्यों रोक रहे हैं?
पिछले
दिनों बिहार की राजधानी पटना जाने का मौका मिला. रेलवे स्टेशन से बाहर आते ही एक पियक्कड़
महाशय धुत्त होकर गिरे पड़े थे. दो तीन विदेशी पर्यटक खड़े होकर उसे देख रहे थे. आसपास
कुछ लोग कह रहे थे ये नीतीश बाबू का बिहार है.
पर्यटकों के लिए खास व्यवस्था: जगह-जगह लुढके मिलेंगे पियक्कड़
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 21, 2012
Rating:

bharat ke viksit rajyon mein prati vyakti sharab ki khapat jyada hai .Keral aur Punjab iska udahran hain..Bihar mein sharab peene ki parampara nahi rahi hai..yahan logon ne sharab, hal ke salon mein peena shuri kiya hai..
ReplyDeleteJahan tak sharab pee ke hungama karne ki bat hai woh insan ke apne personality aur background pe nirbhar karta hai..