रूद्र ना० यादव/०२ मई २०१२
यहाँ सबकुछ अनियमित सा है.किसानों को पहले तो अनाज बेचने
में खासी परेशानी क सामना करना पड़ रहा है.दलाल की सक्रियता ने उन्हें औने पौने दाम
पर अनाज बेचने पर मजबूर कर रखा है.और सरकार ने यदि अनाज खरीद भी लिया है तो
प्रशासन ने शायद इस खरीद को उद्येश्यविहीन बना कर छोड़ा है.जिले में अनाज रखने के
लिये पर्याप्त गोदाम का अभाव है, नतीजतन करोड़ों रूपये के अनाज को खुले में छोड़
दिया गया है.अभी तो गेहूं की खरीद का समय आया है,परन्तु कुछ महीने पहले खरीद किये
गए धान को देखने वाला शायद कोई नही.जिले के गोदामों की हालत तो दयनीय है ही,बारिस
के हवाले किये गये इन धान के बोरों की सुधि लेने वाला कोई नहीं.शंकरपुर में खुले
आसमान के नीचे पढ़े इन हजारों बोरियों के धान से अब पौधे भी निलकने लगे हैं.ये हाल
सिर्फ शंकरपुर का ही नही,कमोबेश पूरे जिले में ही ग़रीबों का निवाला प्रशासनिक
लापरवाही की भेंट चढ गया है.
ग़रीबों का निवाला चढ़ा प्रशासनिक लापरवाही की भेंट
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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May 02, 2012
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