24 साल पहले 350 कैदियों की क्षमता वाले उदाकिशुनगंज जेल निर्माण का कार्य अब तक नहीं हुआ पूरा.पूर्व मुख्यमंत्री डा० जगन्नाथ मिश्र के समय से शुरू हुए जेल निर्माण कार्य के पूरा होने में अभी भी कई कमियां बाक़ी है.इस कार्य में लालू-राबरी के कार्यकाल में भी मचा रहा लूट-खसोट पर अब नीतीश कुमार के शासनकाल में भी उदाकिशुनगंज कारा के निर्माण कार्य में ठेकेदार के द्वारा मनमानी व लूट-खसोट जारी ही है.
मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज अनुमंडल मुख्यालय में बनने वाले जेल का निर्माण कार्य 1988 में 11 करोड़ की लागत से शुरू हुआ था.लालू-राबरी के समय में आनन्-फानन में गुणवत्ताविहीन व प्राक्कलन को ताक पर रखकर इसके निर्माण कार्य को पूरा दिखा दिया गया और इसमें बड़ी राशि को लूट-खसोट कर डकार लिया गया.इसके चहारदीवारी की ऊँचाई इतनी कम कर दी गयी कि जेल की सुरक्षा में कभी भी सेंध लगाया जा सकता था.इसी बीच पूर्व जेल निदेशक डी.एन.तिवारी ने बगैर जांच पड़ताल किये ही 20 अप्रैल 1998 को इसका उदघाटन भी कर दिया और मधेपुरा मंडल कार से 20 कैदियों को लाकर इसमें रख भी दिया गया.लेकिन एक माह के अंदर ही जेल प्रशासन ने इसकी खराब स्थिति तथा असुरक्षा को देखते हुए फिर से कैदियों को मधेपुरा कारा वापस कर दिया.उस दिन से ही जेल बंद हो गया और धीरे-धीरे जेल के कैदी वार्ड एवं अन्य भवन जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुँच गए.
फरवरी 2009 में नीतीश सरकार की भी नींद टूटी और चार करोड़ रूपये देकर इस जेल के जीर्णोद्धार का काम शुरू करवाया.इस बार काम को अगस्त 2010 में ही पूरा होना था,पर अभी तक जेल निर्माण कार्य का दुर्भाग्य पीछा नहीं छोड़ रहा है.ठेकेदार अरविन्द कुमार यादव इसके लिए विभाग को ही जिम्मेवार ठहराते हैं.वहीं भवन प्रमंडल मधेपुरा के कार्यपालक अभियंता सत्यप्रकाश श्रीवास्तव कहते हैं कि जेल निर्माण कार्य को जून तक पूरा कर लिया जाएगा.
उदाकिशुनगंज जेल के निर्माण में 24 वर्षों से लूट-खसोट जारी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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May 24, 2012
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