लगातार धमकियों से परेशान हैं लेडी सुपरवाइजर

राकेश सिंह /१९ जनवरी २०१२
जिले में अपराध में कमी आती देख लोग भले ही खुश हों,पर सबसे बड़ा सवाल कि आखिर ये अपराधी चरित्र के लोग,जिन्होंने पहले उथलपुथल मचा रखा था, गए कहाँ?क्या उनमे अंगुलीमाल जैसा परिवर्तन आ गया? आप भी उन आपराधिक चरित्र के लोगों में से बहुतों को जानते थे.समाज के वे कलंकित लोग अब भी इसी समाज में हैं.और एक कहावत है कि नेचर और सिग्नेचर जल्दी नहीं बदलता.
  सरकार की बहुत सी जनकल्याणकारी योजनाएं आयीं तो ये अपराधी चरित्र के लोग भी उसमे घुसते चले गए.पहले बेरोजगारी थी तो उन्होंने धनार्जन के लिए अपराध को अपना धंधा बनाया था.अब जब सरकार ने ही खजाना खोल दिया है तो क्यों न इसी में लूट-पाट किया जाय.आंगनबाड़ी में जब सेविकाओं की बहाली हुई तो जिले के कुछ अधिकारियों ने भी पैसे बनाने की सोची.कई सेविकाओं से दो-दो लाख रूपये लिए और बहाली कर दी गयी. कुछ अच्छे परिवार की पढ़ी-लिखी महिलायें भी रोजगार की तलाश में सेविका बन गयी जो निश्चित ही आंगनबाड़ी की बदतर स्थिति को सुधारने में प्रयासरत हैं.पर इसमें अधिकाँश दबंगों और अपराधियों ने भी अपनी पत्नियों को घूस के बल पर बहाल करवा दिया.अभी भी कई आंगनबाड़ी केन्द्रों को सेविकाएं अपने दबंग पतियों की की ही मदद से चला रही है.
   सीडीपीओ साहिबा ने तो घूस लेकर बहाली की थी सो केन्द्र जैसे भी चले.सरकारी योजना जाए भांड में. ऊपर से प्रतिमाह मिलते कमीशन को लेकर केन्द्रों के रजिस्टर में सब कुछ ठीक-ठाक दर्शाया जाता रहा.पर अब हालात में कुछ परिवर्तन हुए हैं तो आंगनबाड़ी से जुड़े बहुत से लोग तनाव में दिख रहे है.लेडी सुपरवाइजर का आना बहुत से लोगों को खल रहा है.ये जब नियमित रूप से केन्द्रों का दौरा करती हैं और सच लिखती हैं तो अब दबंग सेवक-पतियों का बेचैन होना स्वाभाविक है.पर आपराधिक चरित्र के सेविका-पति इतनी आसानी से हार मानने वाले भी नहीं.कमोबेश पूरे जिले में ये दबंग लेडी सुपरवाइजरों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से धमकाने में लग गए हैं.कभी-कभी तो रजिस्टर भी प्रस्तुत नही किये जाते हैं ताकि उसपर कुछ गलतियाँ न उजागर कर दी जाय.लेडी सुपरवाइजरों को सामने से या फिर फोन से धमकाने की भी घटना सामने आ चुकी हैं.ऐसे में कई लेडी सुपरवाइजर की स्थिति सांप-छुछुंदर जैसी हो गयी है. गलत को सही करें तो प्रशासन की जांच में इनकी भी नौकरी जा सकती है.और यदि धमकियों से न डरे तो फिर कुछ भी हो सकता है.प्रशासन इन्हें चौबीस घंटों का बौडीगार्ड देने तो जा नहीं रही है.ऐसे में इन आंगनबाड़ी केन्द्रों को शत-प्रतिशत व्यवस्थित करने के प्रशासन के मंसूबे शायद ही कामयाब हो सकें.
    यहाँ देखा जाय तो कई सेविका-पति भले ही दबंग और अपराधी चरित्र के हों,पर असली अपराधी वे पदाधिकारी हैं, जिन्होंने घूस लेकर इनकी बहाली की.जनता का पैसा तो खाया ही,कुछ की जिंदगी भी इन्हीं पदाधिकारियों की वजह से खतरे में पड़ी है.आवश्यकता है इन सफेदपोशों (ह्वाईट कॉलर क्रिमिनल्स) के करतूत को उजागर करने की जिनकी वजह से जिले का विकास कई क्षेत्रो में बाधित है.
लगातार धमकियों से परेशान हैं लेडी सुपरवाइजर लगातार धमकियों से परेशान हैं लेडी सुपरवाइजर Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 19, 2012 Rating: 5

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