विशेष संवाददता/१६ दिसंबर २०११
मधेपुरा के समाहरणालय का जिला लेखा कार्यालय.वैसे तो जिला लेखा पदाधिकारी इसमें कार्यरत होते हैं.पर जिले में इसके सर्वोच्च पदाधिकारी जिलाधिकारी ही होते हैं.इसी कार्यालय से साथ एक और महत्वपूर्ण कार्यालय यहाँ है जिसका नाम है जिला भविष्यनिधि कार्यालय.पर सूत्रों के मुताबिक़ कई वर्षों से इन कार्यालयों में चल रहा है घूसखोरी का खुल्लमखुल्ला खेल.और इस खेल से परेशान हो रहे हैं जिले भर के कर्मचारी और कमोबेश अधिकारी भी.इन दोनों कार्यालयों को एक सहायक श्रवण कुमार के भरोसे चलाया जा रहा है जिसपर जिले के विभिन्न विभागों के कर्मचारी लगा रहे हैं घूसखोरी के आरोप.आरोप काफी गंभीर किस्म के हैं.ये महाशय कर्मचारियों से ही लेखा सत्यापन के लिए रकम मांगते हैं.जिले भर के कर्मचारियों के भविष्यनिधि के मद में जमा पैसे का सही बैलेंसशीट उपलब्ध कराने के लिए भी ये माँगते हैं घूस.और घूस नहीं मिलने पर गलत बैलेंसशीट भेजा जाता है.
     लेखा सत्यापण के लिए सहायक श्रवण कुमार के विरोध में जिला चतुर्थवर्गीय कर्मचारी संघ(गोप गुट) ने अब कमर कस ली है.इसी २७ नवंबर को इनकी एक बैठक में इन्होने लेखा सत्यापन के लिए जिला लेखा कार्यालय में कार्यरत श्रवण कुमार पर लेखा सत्यापन के लिए रकम मांगने का आरोप लगाते हुए जिला पदाधिकारी से आरोपित सहायक को हटाने की मांग कर दी है.दूसरी तरफ व्यवहार न्यायालय के कर्मचारी भी खाता अद्यतन करने के लिए घूस मांगने का आरोप लगाते हैं.न्यायालय के सहायक शिव प्रकाश ने तो मधेपुरा टाइम्स कार्यालय में इस सम्बन्ध में एक लिखित आवेदन तक देकर सहायक श्रवण कुमार पर घूस मांगने के आरोप लगाये हैं.
    अगर लगाये गए आरोप सच हैं तो जिलाधिकारी की नाक के नीचे चल रहा ये घूस का खेल काफी शर्मनाक है.ऐसी स्थिति में जिला पदाधिकारी को चाहिए कि अधीनस्थ कार्यालयों के ऐसे कर्मचारियों की जांच करें और भ्रष्ट लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दें ताकि सुशासन में इस जिले की छवि भी सुधरती दिखाई दे.
एक कर्मचारी की घूसखोरी से कर्मचारीगण ही हो रहे परेशान?
 
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December 16, 2011
 
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