डीएम के पास फ़रियाद |
संवाददता/२९ दिसंबर २०११
गाँव के कई पोस्टमास्टर के ठग होने का इतिहास जिले में काफी पुराना है.पहले के दिनों में जब दिल्ली-पंजाब के मजदूर अपने परिवार को मनीऑर्डर से पैसे भेजते थे तो पोस्टमास्टर साहब उस पैसे को खुद खर्च कर लेते थे या फिर सूद पर लगा दिया करते थे.जब पानेवाला कुछ ज्यादा खोज खबर करता था तो पोस्टमास्टर कहते थे, “अरे, आज ही तो आया है पैसा,आकर ले जाना.” फिर उसमे से भी कमीशन काट ही लेते थे.गाँव के अनेक पोस्टऑफिस में अभी भी पोस्टमास्टर गबन करने में चूकते नहीं हैं.यहाँ तक कि मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों के पासबुक में जब सरकार के द्वारा राशि आती है तो वहां से भी निकाल लेने में कुछ पोस्टमास्टर चूकते नहीं है.ताजा मामले में आलमनगर का एक मजदूर जब जिलाधिकारी के पास इस बात की शिकायत लेकर पहुंचा कि नरेश नामक पोस्टमास्टर ने उसके खाते के सारे पैसे गायब कर देने के बाद उसे पासबुक लौटाया तो जिलाधिकारी मिन्हाज आलम ने दे दिए जांच के आदेश और कहा कि यदि बात सच पाई जाती है तो फिर दर्ज होंगे पोस्टमास्टर पर एफआईआर.
मजदूरों के पैसे निगल जाते हैं पोस्टमास्टर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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December 29, 2011
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