लालू प्रसाद जब रेल मंत्री थे तो उन्होंने रेलवे में चमत्कार कर दिखाया था.मीडिया ने उन्हें ‘मैनेजमेंट गुरु’ तक की उपाधि से नवाजना शुरू कर दिया था.कहीं-कहीं तो वे मैनेजमेंट के छात्रों तक को गुर समझाने चले गए थे.पर क्या रेल मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में दिखाए गए लाभ वास्तविक थे या ये महज आंकड़ों की जादूगरी थी?
कैग (कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जेनेरल ऑफ इंडिया) यानी नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक ने रेलवे के बही खातों की जाँच कर लालू के कार्यकाल में बताए गए लाभ को सिर्फ आंकड़ों की जादूगरी बता दिया है.कैग की रिपोर्ट के अनुसार ये बही-खातों का चालाक प्रबंधन था जिसमे रेलवे ने राजस्व अधिशेष की जगह नकद और निवेश योग्य अधिशेष को दर्शाना शुरू किया और इसी आधार पर रेलवे ने २००४-०५ से २००८-०९ के दौरान नकद और निवेश योग्य अधिशेष ८८,६६९ करोड रूपये दिखाया जबकि इस अवधि में वास्तविक राजस्व अधिशेष ३४,५०६ करोड ही था.राजस्व अधिशेष की राशि सभी खर्च करने के बाद दिखाई जाती है.इसी तरह के आंकड़े उस दौरान रेलवे ने अन्य कार्यों में भी दिखाए थे,जो लाभ दिखाने की एक नयी परंपरा की शुरुआत थी.
जो भी हो, कैग की रिपोर्ट आने के बाद अब ऐसा लगता है कि आंकड़ों की जादूगरी दिखाकर लालू प्रसाद ने जो वाहवाही लूटी थी,वो संभवतः सुर्ख़ियों में रहने की आदत ने ही उन्हें मजबूर किया था.
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
लालू की रेल,सिर्फ आंकड़ों का खेल?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 10, 2011
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