रूद्र ना० यादव|१० अगस्त २०११
जिला मुख्यालय में सिंघेश्वर रोड में अवस्थित संत अवध बिहारी इंटर कॉलेज के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के लिए इन दिनों मुश्किल की घड़ी चल रही है.इस कॉलेज में कई शिक्षक विगत २५ वर्षों से अपनी सेवा दे रहे हैं, पर मान्यता प्राप्त कॉलेज होने के बाद भी इन्हें वेतन के लाले पड़े है.राज्य सरकार ने जब हाल में ऐसे कॉलेजों के लिए अनुदान की राशि की घोषणा की तो यहाँ के शिक्षक तथा कर्मचारियों को लगा कि शायद अब दिन बहुरेंगे.पर परिस्थिति इन्हें अब भी दगा दे रही है.बिहार सरकार से इन्हें मिलने वाले ३४ लाख ७५ हजार रूपये तदर्थ समिति की मीटिंग न हो पाने के कारण इनके जेब से दूर है.इस कॉलेज के प्राचार्य इसके लिए बैठक न हो पाने
के लिए दोष अनुमंडल पदाधिकारी पर लगाते हैं.प्राचार्य श्रीकांत यादव का कहना है कि बैठक के लिए हमने चार-पांच बार तिथि का भी निर्धारण किया है, पर निर्धारित मीटिंग में एसडीओ साहब पहुँचते ही नहीं हैं.मालूम हो कि इन मान्यता प्राप्त कॉलेजों की तदर्थ समिति के संयोजक अनुमंडल पदाधिकारी ही होते हैं.
के लिए दोष अनुमंडल पदाधिकारी पर लगाते हैं.प्राचार्य श्रीकांत यादव का कहना है कि बैठक के लिए हमने चार-पांच बार तिथि का भी निर्धारण किया है, पर निर्धारित मीटिंग में एसडीओ साहब पहुँचते ही नहीं हैं.मालूम हो कि इन मान्यता प्राप्त कॉलेजों की तदर्थ समिति के संयोजक अनुमंडल पदाधिकारी ही होते हैं.
दूसरी तरफ मधेपुरा के अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार निराला कार्य की व्यस्तता के कारण मीटिंग में उपस्थित न होने की बात कहते हैं.साथ ही वे कहते हैं कि इस कॉलेज के प्राचार्यों पर पहले ही वित्तीय अनियमितता का आरोप लग चुका है,जिसके कारण उन्हें सम्बंधित सभी पहलू पर विचार करने की आवश्यकता है.लेकिन अनुमंडल पदाधिकारी कहते हैं कि १५ अगस्त के बाद तिथि निर्धारित कर मीटिंग संपन्न कर लिया जाएगा.
देखा जाय तो दो प्राचार्यों के बीच विवाद ने इस कॉलेज को थोडा विवादास्पद तो बना ही दिया है,साथ ही पूर्व से वित्तीय अनियमितता के आरोप भी यहाँ के दो प्राचार्यों पर लग चुके हैं.प्राचार्य के पद को लेकर भी कॉलेज विवादों में रहा है.कमोबेश कुछ और मान्यता प्राप्त कॉलेजों की स्थिति संत अवध बिहारी इंटर कॉलेज से बेहतर नहीं है.ऐसे कॉलेजों में कई शिक्षक तो बिना वेतन का मुंह देखे ही रिटायर भी हो जाते हैं.ऐसी स्थिति में सरकार इनकी लाख हित सोचे पर विभिन्न कारणों से शिक्षकों तथा कर्मचारियों के लिए अभिशाप ही साबित हो रहे हैं मान्यता प्राप्त कॉलेज.
वेतन के लाले पड़े हैं २५ वर्षों से
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 10, 2011
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