राकेश सिंह|१० अगस्त २०११
मधेपुरा का बस स्टैंड कहने को तो बस स्टैंड है,पर हकीकत तो ये है कि विभिन्न दिशाओं में जाने वाली अधिकाँश सवारियां बस स्टैंड के बाहर ही खड़ी मिलती है.बस स्टैंड के सामने का चौराहा ही सवारियों को बिठाने और उतारने के लिए प्रयोग में लाया जाता है.अगर बस स्टैंड में यात्रियों के लिए मौजूद सुविधाओं की बात की जाय तो यहाँ ऐसा कुछ नही है.दुकानें भी नाम मात्र को है.पुरुष तथा महिला यात्रियों के न तो यहाँ बैठने की व्यवस्था है और न ही कोई बाथरूम.यात्रीगण अपने बैग और ब्रीफकेश पर बैठकर काम चलाते हैं.यहाँ बाथरूम नहीं रहने से लोग यत्र-तत्र दीवार पर पेशाब करते नजर आ सकते हैं.दुखद स्थिति यह है कि वहीँ आपको सटे चाय की दुकान मिलेगी जहाँ लोग बैठकर चाय की चुस्कियों के बीच आने वाली सवारी का इन्तजार करते रहते हैं.बताया जाता है कि प्रतिवर्ष बस स्टैंड का टेंडर होता है,और जो इसे जिला प्रशासन को एक बड़ी राशि देकर खरीदता है उसका ध्यान सिर्फ अधिक से अधिक पैसे कमाने की ओर रहता है.प्रशासन भी टेंडर करवाने के बाद अपनी जिम्मेवारी की इतिश्री मान लेती है.यात्रियों की परेशानी से किसी को कोई लेना देना नहीं होता है.आवश्यकता है जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की ताकि जिला मुख्यालय के बस स्टैंड की सेहत में सुधार आ सके.
सुविधाविहीन है मधेपुरा का बस स्टैंड
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 10, 2011
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