स्कूली बच्चों का निवाला हुआ दीमक के हवाले

रूद्र नारायण यादव/१० दिसंबर २०१०
जिले में अभी भी जहां कुछ लोग अभी भी दाने-दाने को मुहताज हैं वहीं स्कूली बच्चे का निवाला २० क्विंटल चावल एक हेडमास्टर की लापरवाही से सडकर बर्बाद हो गया.मध्यान्ह भोजन का २० क्विंटल चावल सडकर दीमक के भेंट चढ गया परन्तु बच्चों को एक साल से खिचड़ी नही दी गयी.चावल में कीड़े और पिल्लू बलबला रहें हैं और स्कूल के शिक्षक तमाशा देख रहे हैं.ये मामला है मधेपुरा प्रखंड के मिडल स्कूल महेशुआ का जिनका मध्यान्ह भोजन का चावल महेशुआ गाँव के पंचायत भवन में रखा हुआ सड़ गया है.ये चावल अगर बाद प्रभावित क्षेत्र में भी बाँट दिया जाता तो इसका सदुपयोग हो गया होता.इस बाबत जब ग्रामीणों से पूछा गया तो उन लोगों ने बताया कि ये सारा किया धरा हेडमास्टर का है जिसने गाँव वालों के विरोध के बावजूद भी मनमानी की.जबकि हेडमास्टर का कहना है कि ग्रामीणों ने बच्चों को सिखा-पढ़ा दिया है कि खिचड़ी नही मिल रही है.परन्तु जब मधेपुरा टाइम्स द्वारा पूछा गया कि चावल सड़ कैसे गया और क्या आपके रजिस्टर बता रहे हैं कि स्कूल में खिचड़ी बन रही है? के जबाब में हेडमास्टर साहब की जुबान लड़खड़ा जाती है और बगलें झाँकने लगते हैं.अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी भी मानते हैं कि ये चावल हेडमास्टर की ही लापरवाही से सड़ा है.मीडिया द्वारा जानकारी दिए जाने पर अधिकारी अब हेडमास्टर के विरूद्ध कार्यवाही की बात करते हैं.
     सरकार  भले ही शिक्षा से बच्चों को जोड़ने के लिए खिचड़ी योजना प्रारम्भ की हो पर ये सरकारी मुलाजिमों को रास नही आ रहा है शायद इसलिए इस योजना को खटाई में डालने पर तुले हुए हैं.ये सुशासन बाबू के लिए चुनौती नही तो और क्या है.अब ये देखना दिलचस्प होगा कि दोषी पर अधिकारी क्या कारवाही करते हैं?
११  दिसम्बर २०१०: मधेपुरा टाइम्स की खबर का असर:जिला प्रशासन ने महेशुआ मिड्ल स्कूल के उक्त हेडमास्टर को निलंबित कर अगली कार्यवाही का आदेश दे दिया है.
स्कूली बच्चों का निवाला हुआ दीमक के हवाले स्कूली बच्चों का निवाला हुआ दीमक के हवाले Reviewed by Rakesh Singh on December 10, 2010 Rating: 5

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