रविवार विशेष- कविता- यूं तेरी मोहब्बत में..........

कुछ पल का मिलना
फिर बिछड़ जाना
क्या जरूरी है?
कुछ देर रुके होते
दो बात की होती
कुछ अपनी कही होती
कुछ मेरी सुनी होती
कुछ दर्द लिया होता
कुछ दर्द दिया होता
कुछ अपनी बेचैनियों का
कोई राज दिया होता
कुछ वादे मोहब्बत के किये होते
कुछ शिकवे वफाओं के किये होते
कुछ अपने भरम तोड़े होते
कुछ नए भरम दिए होते
कुछ दिल के टुकड़े किये होते
कुछ चुन लिए होते
कुछ बिखर गए होते
कुछ पल यूं ही तेरे आगोश में
हम जी लिए होते
कुछ पल तो मोहब्बत की
बरखा में भीग लिए होते
मिलने की हसरतों के
हर अरमान जी लिए होते
जुदाई के लम्हों को
फिर हम सह लिए होते
यूं तेरी मोहब्बत में
कुछ जी लिए होते
कुछ मर लिए होते.
--वन्दना गुप्ता,दिल्ली
रविवार विशेष- कविता- यूं तेरी मोहब्बत में.......... रविवार विशेष- कविता- यूं तेरी मोहब्बत में.......... Reviewed by Rakesh Singh on November 27, 2010 Rating: 5

20 comments:

  1. राकेश जी,
    मेरी कविता को मधेपुरा टाइम्स मे जगह देने के लिये आपकी हार्दिक आभारी हूँ।

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  2. वाह ..बहुत खूबसूरती से जज़्बात लिखे हैं ....

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  3. वंदना जी की कविताओं का मैं नियमित पाठक हूँ.. प्रेम कविता को नया आयाम दे रही हैं आप.. बहुत सुन्दर कविता..प्रेम में जीना प्रेम में मरना.. अद्बुद...

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  4. वन्दना इस कुछ मे तो सभी कुछ भर दिया? बहुत अच्छी लगी कविता। बधाई।

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  5. मधेपुरा टाइम्स पर पहली बार आना हुआ। अच्छा लगा।
    ये कुछ छूट जाने का अहसास, कुछ पा लेने की ख़्वाइश, इसी का नाम तो है ज़िन्दगी।
    बहुत अच्छी नज़्म।

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  6. Phir ek baar wahee kahungi,jo kahti aayi hun...kya gazab kaa likhtee ho!

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  7. Kuch gahre jajbaat se piroya hai aapne is kavita ko Vandana ji ... Kuch pal ka milna agar aatmaaon ka milan ho to vo kabhi bichudte nahi hain ...

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  8. कुछ पल यूँ ही तेरे आगोश में
    हम जी लिए होते
    यूँ ही तेरी मुहब्बत में
    कुछ जी लिए होते
    कुछ मर लिए होते
    ...वाह ,वाकई बहुत खूब

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  9. tanhaai ke aalam me jab bhi
    waqt purana yaad aaya,
    kuchh teri kahani yaad aai
    kuchh apna fasana yaad aaya

    bahut achhi kavita....no words to say.

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  10. वंदना जी,आपकी कविता कुछ सोचने पर विवश कर देती हैं.बहुत ही अच्छी.कृपया मधेपुरा टाइम्स पर लिखते रहें.राकेश सर का भी प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद.

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  11. wowwwwwwwwwwwwwww
    tis is righttttt
    i like plz continue
    वन्दना गुप्ता,दिल्ली ji

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  12. nice poem................ aapki kavita bahut hi achhin hai................ bolne ke liye sabd nhi mil rhe...................

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  13. YES PALLAVI JEE KOI SABD NAHI HAI BOLNE KO KYU BHUT HI ACHI HAI

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  14. hindi hamara bahvisya hian.....aur iska rakcha karna hamara kartavya......

    vandana jee ka dhanwad jo inhone itna sudar line lika hain

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  15. सभी पाठकों की तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ और उम्मीद करती हूँ आप सबका स्नेह इसी प्रकार मिलता रहेगा।

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  16. ये हसरतों का सिलसिला कभी ख़त्म कहाँ होता है? जो रह गया उसके लिए शिकायतों का सिलसिला इतनी गहराई से उकेरा है कि इसके लिए तारीफ के शब्द नहीं ...........

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  17. Vandana ji ki kavitayen man ko moh leti hai bahut bahut achchi lagi ye bhi.. shukriya

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  18. ek chhoti si ya ki ise kahen badi si aakanksha ki saath rehne ke kuchh aur pal chahiye ko badi khoobsurti se unkera hai...badhai !!!

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