
फिर किसी से दिल लगाया जाएगा
चाँद गर साथी न मेरा बन सके
साथ सूरज का निभाया जाएगा
रस्म-ए-रुखसत को निभाने के लिए
फूल आँखों का चढ़ाया जाएगा
कर भला कितना भी दुनिया में मगर
मरने पे ही बुत बनाया जाएगा
आईना सूरत बदलने जब लगे
ख़ुद को फिर कैसे बचाया जाएगा
मेरी अलबम कुछ करीने से लगे
उनको पहलू में बिठाया जाएगा
रविवार विशेष-कविता- फिर किसी से दिल लगाया जाएगा
Reviewed by Rakesh Singh
on
November 27, 2010
Rating:

KYA KHOOB
ReplyDeleteBahut khoob shraddha ji....
ReplyDeleteApp yahan bhi :)
Bahut Hi Sundar Pangtiya Aapne Likhi Hai.
ReplyDeleteKucha Pangatiya Aap Ke Liye
Husna Ki Aaho Se Jab Gaam Nikalate Hai
Parde Hat Jaate Hai Jab Hum Nikalte Hai
Wo To Shukra HAi Khooda Ka Ki Hum Kam Nikalate Hai
Varna Jab Bhi Hum Nikalte Hai
To Aacche Aaccho Ke Daam Nikalate Hai
Manish Pol
Indore (MP) India
09827276969
श्रद्धा जी!आपकी कविता वास्तव में दिल को छूने वाली है.मधेपुरा टाइम्स को भी हार्दिक शुभकामनाएँ जो हमें स्तरीय कविताएँ पढ़ने के लिए मिल रही हैं.
ReplyDeleteकर भला कितना भी दुनिया में मगर
ReplyDeleteमरने पे ही बुत बनाया जाएगा
....क्या बात है!
shradha ji aapki kavita dil ko choo lene wali hai.................very nice poem.......
ReplyDeleteyour poem is too nice...............and heart touching.....................
ReplyDeleteWOWWWWWWWWWWWWWWWWWW
ReplyDeleteYOUR POEM VERY NICE
ReplyDeleteI LIKE THIS IS RELAY NICE
WOWWWWW
ReplyDeleteWOWWW
ReplyDeleteशेर होता है अब महीनों में
ReplyDeleteज़िन्दगी ढल गयी मशीनों में
प्यार की रोशनी नहीं मिलती
इन मकानों में, इन मकीनों में
देख कर दोस्ती का हाथ बढ़ाओ
सांप होते हैं आस्तीनों में
शेर होता है अब महीनों में
ReplyDeleteज़िन्दगी ढल गयी मशीनों में
प्यार की रोशनी नहीं मिलती
इन मकानों में, इन मकीनों में
देख कर दोस्ती का हाथ बढ़ाओ
सांप होते हैं आस्तीनों में