फिर बिछड़ जाना
क्या जरूरी है?
कुछ देर रुके होते
दो बात की होती
कुछ अपनी कही होती
कुछ मेरी सुनी होती
कुछ दर्द लिया होता
कुछ दर्द दिया होता
कुछ अपनी बेचैनियों का
कुछ वादे मोहब्बत के किये होते
कुछ शिकवे वफाओं के किये होते
कुछ अपने भरम तोड़े होते
कुछ नए भरम दिए होते
कुछ दिल के टुकड़े किये होते
कुछ चुन लिए होते
कुछ बिखर गए होते
कुछ पल यूं ही तेरे आगोश में
हम जी लिए होते
कुछ पल तो मोहब्बत की
बरखा में भीग लिए होते
मिलने की हसरतों के
हर अरमान जी लिए होते
जुदाई के लम्हों को
फिर हम सह लिए होते
यूं तेरी मोहब्बत में
कुछ जी लिए होते
कुछ मर लिए होते.
--वन्दना गुप्ता,दिल्ली
रविवार विशेष- कविता- यूं तेरी मोहब्बत में..........
Reviewed by Rakesh Singh
on
November 27, 2010
Rating:
राकेश जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को मधेपुरा टाइम्स मे जगह देने के लिये आपकी हार्दिक आभारी हूँ।
वाह ..बहुत खूबसूरती से जज़्बात लिखे हैं ....
ReplyDeleteवंदना जी की कविताओं का मैं नियमित पाठक हूँ.. प्रेम कविता को नया आयाम दे रही हैं आप.. बहुत सुन्दर कविता..प्रेम में जीना प्रेम में मरना.. अद्बुद...
ReplyDeleteवन्दना इस कुछ मे तो सभी कुछ भर दिया? बहुत अच्छी लगी कविता। बधाई।
ReplyDeleteमधेपुरा टाइम्स पर पहली बार आना हुआ। अच्छा लगा।
ReplyDeleteये कुछ छूट जाने का अहसास, कुछ पा लेने की ख़्वाइश, इसी का नाम तो है ज़िन्दगी।
बहुत अच्छी नज़्म।
Phir ek baar wahee kahungi,jo kahti aayi hun...kya gazab kaa likhtee ho!
ReplyDeleteKuch gahre jajbaat se piroya hai aapne is kavita ko Vandana ji ... Kuch pal ka milna agar aatmaaon ka milan ho to vo kabhi bichudte nahi hain ...
ReplyDeleteकुछ पल यूँ ही तेरे आगोश में
ReplyDeleteहम जी लिए होते
यूँ ही तेरी मुहब्बत में
कुछ जी लिए होते
कुछ मर लिए होते
...वाह ,वाकई बहुत खूब
tanhaai ke aalam me jab bhi
ReplyDeletewaqt purana yaad aaya,
kuchh teri kahani yaad aai
kuchh apna fasana yaad aaya
bahut achhi kavita....no words to say.
वंदना जी,आपकी कविता कुछ सोचने पर विवश कर देती हैं.बहुत ही अच्छी.कृपया मधेपुरा टाइम्स पर लिखते रहें.राकेश सर का भी प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद.
ReplyDeletewowwwwwwwwwwwwwww
ReplyDeletetis is righttttt
i like plz continue
वन्दना गुप्ता,दिल्ली ji
plz send more i like
ReplyDeletenice poem................ aapki kavita bahut hi achhin hai................ bolne ke liye sabd nhi mil rhe...................
ReplyDeleteYES PALLAVI JEE KOI SABD NAHI HAI BOLNE KO KYU BHUT HI ACHI HAI
ReplyDeletehindi hamara bahvisya hian.....aur iska rakcha karna hamara kartavya......
ReplyDeletevandana jee ka dhanwad jo inhone itna sudar line lika hain
सभी पाठकों की तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ और उम्मीद करती हूँ आप सबका स्नेह इसी प्रकार मिलता रहेगा।
ReplyDeleteये हसरतों का सिलसिला कभी ख़त्म कहाँ होता है? जो रह गया उसके लिए शिकायतों का सिलसिला इतनी गहराई से उकेरा है कि इसके लिए तारीफ के शब्द नहीं ...........
ReplyDeleteVandana ji ki kavitayen man ko moh leti hai bahut bahut achchi lagi ye bhi.. shukriya
ReplyDeleteek chhoti si ya ki ise kahen badi si aakanksha ki saath rehne ke kuchh aur pal chahiye ko badi khoobsurti se unkera hai...badhai !!!
ReplyDeletebahut khub
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