रविवार विशेष-कविता- यमराज की बिहार यात्रा

भू-लोक की बहार देखने, यमराज जी बिहार आये
हालत देख सरकारी अस्पताल की,डॉक्टर को आँखें दिखलाये.
नाराज होकर बोले वे,एंडी रगड़-रगड़ मरीज मर रहे हैं
जो काम मुझे करना चाहिए,आप क्यों कर रहे हैं?
दार्शनिक अंदाज में डॉक्टर बोले,ये पाप के शाप झेल रहे हैं
गरीबी पाप से कम नही,तभी तो ये मौत के साथ कबड्डी खेल रहे हैं.

दूसरे दिन जेल मंत्री से जाकर तपाक से हाथ मिलाए,
आग्रहपूर्वक कहा उन्होंने,अपनी जेल में हमें पट्टा दिलवाए.
अकबका मंत्रीजी बोले,समझ में नही आया आपका यह प्रस्ताव
कई राज्य तो और भी हैं,फिर बिहार का ही क्यों चुनाव?
उत्तर मिला-दिवंगत बिहारी हमें रोज आँखें दिखलाते हैं
रंगदारी की रकम वसूलने,चिट्ठी तक भिजवाते हैं.

तीसरे दिन वे थानेदार से जाकर चायखाने में मिल पाए
बात-बात में तू-तड़ाक सुन कई बार वे सकपकाए.
बोले थानेदार अकड़कर,यह लोक है हमारा यमराज
सज्जन-दुर्जन में फर्क नहीं यहाँ,माल के हिसाब से होता है राज.
हाथ जोड़कर बोले यमराज,धन्य है तू धरती का लाल
साक्षात सामने पाकर तुझे, आज मेरा बदल गया ख्याल.
        
--पी०बिहारी'बेधड़क',मधेपुरा
रविवार विशेष-कविता- यमराज की बिहार यात्रा रविवार विशेष-कविता- यमराज की बिहार यात्रा Reviewed by Rakesh Singh on November 27, 2010 Rating: 5

3 comments:

  1. बेहतरीन व्यंग्य्।

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  2. thodi der bad yamraj mile P bedharak se
    aur kahne lage bade adab se
    are bhai,dhanya ho tum
    aur us se bhi dhanya tumhara Bihar
    yaha aakar hijana jine ka maqsad
    aur safalta ka raj
    Bihar se ab jane ki eeksha nahi hoti
    bana to leta yahi apna lok
    kash Bihar me sushashan na hoti

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  3. बेधड़क जी आपकी कविता पढ़ी बहुत अच्छी लगी | एक बहुत अच्छी व्यंग व्यवस्था पर | मैं हालाँकि मधेपुरा टाइम्स का नियमित पाठक तो नहीं हूँ पर आपकी कविता ने बरबस ध्यान आकृष्ट कर लिया | आपको ढेर सारी शुभकामनायें | धन्यवाद !

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