रूद्र नारायण यादव/११ अक्टूबर २०१०
२००८ के बाढ़ का खौफनाक मंजर तो सबको याद ही होगा.अधिकाँश लोग जानते होंगे कि बाद में सरकारी सहायता से कुछ हद तक तक उजड़े हुए लोगों के लिए राहत संभव हुआ परन्तु बहुत सारे लोगों का ये भी कहना है कि बाढ़ राहत के नाम पर इस इलाके में जितनी बड़ी लूट हुई उसने जिले के हर भ्रष्टाचार को पीछे छोड़
दिया.सरकार से तो राहत चली पर रास्ते में दलालों ने उससे अपनी झोली भर ली और इस इलाके के कुछ दबंग और दलाल रातों-रात अमीर बन गए.उदाहरण के तौर पर अगर मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड स्थित रामपुर टपरा टोला को ले लें , तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी.यहाँ के लोग खासकर खेती,मजदूरी एवं मवेशी व बकरी पालकर जीवन बसर करते थे लेकिन कुशहा त्रासदी २००८ ने यहाँ के लोगों के घर,जमीन,मॉल-मवेशी को अपने गाल में तो समा ही लिया और जो ऊपर वाले की कृपा से बच गए वे त्रासदी के दो वर्ष बाद भी रेलवे लाईन एवं नहर के किनारे प्लास्टिक व झुग्गी के नीचे जीवन काटने को बेबस हैं.सरकारी सहायता की हकीकत यह है कि इन पीडितों को त्रासदी के दौरान जरूर थोडा- बहुत सामग्री व मुआवजे मिले लेकिन इन्हें स्थाई रूप से बसाने व जीपन यापन चलाने के लिए सरकार से अब तक कुछ भी नहीं मिला.ये तो सिर्फ एक बानगी है. मधेपुरा के बाढ़ प्रभावित इलाके का यही हाल है.जब रामपुर टपरा टोला का दौरा मधेपुरा टाइम्स के द्वारा किया गया तो ये सारी हकीकत खुल कर सामने आई.यहाँ के लोग नेता से खासे नाराज दिख रहे हैं और वोट मांगने के लिए आने वाले नेता को जबाब देने का मन बना चुके हैं.
दिया.सरकार से तो राहत चली पर रास्ते में दलालों ने उससे अपनी झोली भर ली और इस इलाके के कुछ दबंग और दलाल रातों-रात अमीर बन गए.उदाहरण के तौर पर अगर मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड स्थित रामपुर टपरा टोला को ले लें , तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी.यहाँ के लोग खासकर खेती,मजदूरी एवं मवेशी व बकरी पालकर जीवन बसर करते थे लेकिन कुशहा त्रासदी २००८ ने यहाँ के लोगों के घर,जमीन,मॉल-मवेशी को अपने गाल में तो समा ही लिया और जो ऊपर वाले की कृपा से बच गए वे त्रासदी के दो वर्ष बाद भी रेलवे लाईन एवं नहर के किनारे प्लास्टिक व झुग्गी के नीचे जीवन काटने को बेबस हैं.सरकारी सहायता की हकीकत यह है कि इन पीडितों को त्रासदी के दौरान जरूर थोडा- बहुत सामग्री व मुआवजे मिले लेकिन इन्हें स्थाई रूप से बसाने व जीपन यापन चलाने के लिए सरकार से अब तक कुछ भी नहीं मिला.ये तो सिर्फ एक बानगी है. मधेपुरा के बाढ़ प्रभावित इलाके का यही हाल है.जब रामपुर टपरा टोला का दौरा मधेपुरा टाइम्स के द्वारा किया गया तो ये सारी हकीकत खुल कर सामने आई.यहाँ के लोग नेता से खासे नाराज दिख रहे हैं और वोट मांगने के लिए आने वाले नेता को जबाब देने का मन बना चुके हैं.
बाढ़ पीड़ित नहर पर : चुनाव में भी सुधि लेने वाला कोई नहीं
Reviewed by Rakesh Singh
on
October 11, 2010
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