लेकिन नया इसका पानी है|
इसके ही तेज से है
जनपद हमारा जगमग
और इसके दम से
खेती है किसानी है|
कोसी नदी बहुत पुरानी है|
उत्तर से उतरती है
पत्थर से पिघलती
उग्रधारा हिमानी है
कोसी नदी बहुत पुरानी है|
बरसात के मौसम में
बन जाती काली कोसी
करती विनाश-लीला
आ-जाता सुनामी है|
कोसी नदी बहुत पुरानी है
लेकिन नया इसका पानी है|
__संतोष सिन्हा
बिहार प्रदेश श्रीकांत वर्मा साहित्य समिति,मधेपुरा .
रविवार विशेष- कविता-कोशी नदी
Reviewed by Rakesh Singh
on
September 26, 2010
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