रूद्र नारायण यादव/२२ जुलाई २०१०
मधेपुरा के न्यायालय परिसर में लचर सुरक्षा व्यवस्था का पोल तब खुल गया जब सरेआम एक रिमांड के लिए आये अभियुक्त ने पुलिस की ऐसी की तैसी कर दी और सैकड़ों लोग मूकदर्शक बने रहे तथा परिसर में तैनात पुलिस बल भी नदारद दिखे.हुआ यूं कि जिले के चौसा थाना क्षेत्र से आये जी०आर० नं० ८२०/०४ के अभियुक्त प्रमोद यादव तब उग्र हो गए जब साथ लेकर आई पुलिस ने पहले हथकड़ी खोलकर मौज-मस्ती करने छोड़ दिया और जब मौज मस्ती के बाद अभियुक्त को हथकड़ी लगाने लगे तो पुलिस पर बरसते हुए गाली गलौज पर उतर गए जो तमाशा घंटों चलता रहा.
इस दौरान लोगों की घंटों भीड़ लगी रही.लेकिन कोर्ट परिसर में तैनात पुलिस अधिकारी व बल का अत पता नही था.इस हरकत को देख न्यायालाय कर्मियों ने उचाधिकारी को सूचना दी तब जाकर पुलिस के जवान आ धमके और दिखाने लगे अपना रौब.तब जाकर अभियुक्त को अपने कब्जे में कर पुलिस ने रिमांड करा कर जेल भेजा.सबसे बड़ा सवाल यह कि न्यायालय परिसर में प्रतिदिन कुख्यात अपराधी पेशी के लिए आते हैं,इसे देखते हुए सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम भी किया जाता है ताकि इस दौरान कोई अपराधी भाग न जाय.लेकिन जिस तरह से रिमांड के लिए आए अभियुक्त कोर्ट परिसर में मनमाने तरीके से पुलिस के साथ बदतमीजी की इससे साफ़ लगता है कि यहाँ सुरक्षा की व्यवस्था सिर्फ दिखावा है.ऐसे में अगर अपराधी चाहे तो समय गँवाए बिना आसानी से भाग सकते हैं.कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जेल से पेशी के लिए न्यायालय परिसर आने वाले कैदी अपनी ईमानदारी का निर्वहन कर पुलिस की कमजोरी को छिपा देते हैं.
इस दौरान लोगों की घंटों भीड़ लगी रही.लेकिन कोर्ट परिसर में तैनात पुलिस अधिकारी व बल का अत पता नही था.इस हरकत को देख न्यायालाय कर्मियों ने उचाधिकारी को सूचना दी तब जाकर पुलिस के जवान आ धमके और दिखाने लगे अपना रौब.तब जाकर अभियुक्त को अपने कब्जे में कर पुलिस ने रिमांड करा कर जेल भेजा.सबसे बड़ा सवाल यह कि न्यायालय परिसर में प्रतिदिन कुख्यात अपराधी पेशी के लिए आते हैं,इसे देखते हुए सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम भी किया जाता है ताकि इस दौरान कोई अपराधी भाग न जाय.लेकिन जिस तरह से रिमांड के लिए आए अभियुक्त कोर्ट परिसर में मनमाने तरीके से पुलिस के साथ बदतमीजी की इससे साफ़ लगता है कि यहाँ सुरक्षा की व्यवस्था सिर्फ दिखावा है.ऐसे में अगर अपराधी चाहे तो समय गँवाए बिना आसानी से भाग सकते हैं.कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जेल से पेशी के लिए न्यायालय परिसर आने वाले कैदी अपनी ईमानदारी का निर्वहन कर पुलिस की कमजोरी को छिपा देते हैं.
कोर्ट परिसर में कैदी ने किया पुलिस के साथ दुर्व्यवहार
Reviewed by Rakesh Singh
on
July 22, 2010
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