मधेपुरा में बिजली की स्थिति बहुत ही घटिया रही है,इस पर शायद ही कोई मतभेद हों. बड़े नेता यहाँ आते हैं तो बिजली लगातार रहती है,पर जैसे ही ये नेता जिले के बाहर कदम रखते है,बिजली भी रफूचक्कर हो जाती है.मधेपुरा में बिजली स्थायी रूप से रहे, इसकी जरूरत शायद कोई नेता नही समझते है.अधिकाँश लोग यहाँ मानते हैं कि बिजली की खराब स्थिति के लिए नेता जिम्मेदार हैं.और ताजा सर्वेक्षण के बाद यह तो यह तो और भी निश्चित हो गया है कि मधेपुरा में बिजली की घटिया स्थिति के लिए नेता ही जिम्मेवार हैं.पर सिर्फ ऐसा भी नही है.विभाग भी इस स्थिति के लिए कम जिम्मेवार नही है.
देखा जाय तो कभी कभी तो बिजली रानी तीन-तीन दिनों तक दर्शन भी नही देती है और अगर विभाग से पूछा जाता है तो सही कारण वो भी नहीं बता पाते हैं.मधेपुरा में इन दिनों बिजली विभाग की लापरवाही चरम पर है.विभाग एक टेलीफोन लेकर बैठा रहता है और फेज उड़ने की शिकायत पर कहता है कि ठेकेदार से बात कीजिए,ये उसी का काम है.और संपर्क करने पर ठेकेदार कहते हैं कि विभाग का क्या काम है?इनलोगों ने कस्टमर को कष्टमर बना कर छोड़ा है-यानी कष्ट से मर रहे हैं मधेपुरा के लोग बिजली विभाग की लापरवाही से.पर सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि आखिर मधेपुरा में बिजली की घटिया स्थिति के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेवार कौन है?
देखा जाय तो कभी कभी तो बिजली रानी तीन-तीन दिनों तक दर्शन भी नही देती है और अगर विभाग से पूछा जाता है तो सही कारण वो भी नहीं बता पाते हैं.मधेपुरा में इन दिनों बिजली विभाग की लापरवाही चरम पर है.विभाग एक टेलीफोन लेकर बैठा रहता है और फेज उड़ने की शिकायत पर कहता है कि ठेकेदार से बात कीजिए,ये उसी का काम है.और संपर्क करने पर ठेकेदार कहते हैं कि विभाग का क्या काम है?इनलोगों ने कस्टमर को कष्टमर बना कर छोड़ा है-यानी कष्ट से मर रहे हैं मधेपुरा के लोग बिजली विभाग की लापरवाही से.पर सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि आखिर मधेपुरा में बिजली की घटिया स्थिति के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेवार कौन है?
इसे जानने के लिए मधेपुरा टाइम्स ने एक ऑनलाइन सर्वेक्षण कराया और परिणाम बेहद चौंकाने वाले सामने आये.वोटिंग में मधेपुरा में बिजली की घटिया स्थिति के लिए हमने चार विकल्प रखे थे.हमारे विकल्प था १.सरकार की असमानता की नीति.२.बिजली की कम आपूर्ति ३.अवैध कनेक्शन और ४.यहाँ के नेता.
सरकार की असमानता की नीति भी मधेपुरा में बिजली की घटिया स्थिति का एक कारण है.जैसे कि यहीं बगल के सुपौल में औसतन २०-२२ घंटे बिजली रहती है,जबकि मधेपुरा में औसतन ७-८ घंटे.
सुपौल से नेता हैं-बिजेन्द्र यादव जो पहले बिजली मंत्री थे और उन्होंने वहां बिजली की स्थिति सुधार कर रख दी है.दूसरा विकल्प था बिजली की कम आपूर्ति यानी सरकार को विभिन्न माध्यमों से बिजली ही कम मिलती है तो वह आपूर्ति कहाँ से करे?और बिहार सरकार इस बात का रोना भी रोती है.पर यहाँ सोचने वाली बात ये है कि क्या ये स्थिति सिर्फ मधेपुरा पर ही लागू होती है सुपौल पर नहीं?तीसरा विकल्प था अवैध कनेक्शन यानि बहुत से लोगों ने अवैध कनेक्शन ले रखा है जिससे बिजली की काफी खपत हो जाती है और इसका खामियाजा वैध कनेक्शन वालों को भुगतना पड़ता है.हमारा चौथा विकल्प था-यहाँ के नेता इसके लिए जिम्मेवार है.यानी यहाँ के नेता सक्षम नही है बिजली की स्थिति सुधारने में.
वोटिंग के रिजल्ट आप मधेपुरा टाइम्स पर दाहिने तरफ देख सकते हैं.सरकार की असमानता की नीति को मात्र ६% लोगों ने कारण माना है.११% लोगों का मानना है कि बिजली की कम आपूर्ति ही इसका कारण है.१३% लोग अवैध कनेक्शन को मधेपुरा में बिजली की घटिया स्थिति के लिए जिम्मेवार मान रहे है,जबकि ६७% लोगों ने माना है कि यहाँ के नेता ही इस स्थिति के लिए सबसे बड़े कारक हैं.क्यों लोगों का गुस्सा है यहाँ के नेताओं पर? क्या वे यहाँ के अधिकाँश नेताओं की घटिया हरकतों से परेशान हैं?जयपालपट्टी के शिवप्रकाश कहते हैं कि मधेपुरा में अगर लगातार अच्छी बिजली रहती है तो हम समझते हैं कि सांसद महोदय अभी मधेपुरा में हैं और जब खराब स्थिति होती है तो समझते है नेता चले गए.भिरखी के राजकिशोर मिश्र का मानना है कि बिजेंद्र यादव के कारण सुपौल में २२ घंटे बिजली रहती है और यहाँ का कोई नेता उतना सक्षम नही है, इसलिए यहाँ की ऐसी हालत है.
परन्तु ऐसा नही है कि यहाँ के नेता बिजली की स्थिति सुधारने का प्रयास समय-समय पर नहीं करते हैं,करते तो हैं-जैसे मधेपुरा बंद,बिजली कर्मचारियों के साथ मार-पीट आदि आदि.पर इनकी सुनता ही कौन है.एक कहावत है-बकरी बताहे होगी तो कितना गांव खुनेगी.यानी आप में जब क्षमता ही नही है तो आप लाख मिहनत करें कुछ नही होने वाला है.लोगों का जो भी मानना हो पर एक बात तय है कि कोई एक कारण नहीं है जिसके कारण मधेपुरा में बिजली की घटिया स्थिति है.जो भी हो,पर लोग अब भी आशान्वित हैं कि एक न एक दिन दिन बहुरेंगे और मधेपुरा भी होगा बिजली से चकाचक.
सरकार की असमानता की नीति भी मधेपुरा में बिजली की घटिया स्थिति का एक कारण है.जैसे कि यहीं बगल के सुपौल में औसतन २०-२२ घंटे बिजली रहती है,जबकि मधेपुरा में औसतन ७-८ घंटे.
सुपौल से नेता हैं-बिजेन्द्र यादव जो पहले बिजली मंत्री थे और उन्होंने वहां बिजली की स्थिति सुधार कर रख दी है.दूसरा विकल्प था बिजली की कम आपूर्ति यानी सरकार को विभिन्न माध्यमों से बिजली ही कम मिलती है तो वह आपूर्ति कहाँ से करे?और बिहार सरकार इस बात का रोना भी रोती है.पर यहाँ सोचने वाली बात ये है कि क्या ये स्थिति सिर्फ मधेपुरा पर ही लागू होती है सुपौल पर नहीं?तीसरा विकल्प था अवैध कनेक्शन यानि बहुत से लोगों ने अवैध कनेक्शन ले रखा है जिससे बिजली की काफी खपत हो जाती है और इसका खामियाजा वैध कनेक्शन वालों को भुगतना पड़ता है.हमारा चौथा विकल्प था-यहाँ के नेता इसके लिए जिम्मेवार है.यानी यहाँ के नेता सक्षम नही है बिजली की स्थिति सुधारने में.
वोटिंग के रिजल्ट आप मधेपुरा टाइम्स पर दाहिने तरफ देख सकते हैं.सरकार की असमानता की नीति को मात्र ६% लोगों ने कारण माना है.११% लोगों का मानना है कि बिजली की कम आपूर्ति ही इसका कारण है.१३% लोग अवैध कनेक्शन को मधेपुरा में बिजली की घटिया स्थिति के लिए जिम्मेवार मान रहे है,जबकि ६७% लोगों ने माना है कि यहाँ के नेता ही इस स्थिति के लिए सबसे बड़े कारक हैं.क्यों लोगों का गुस्सा है यहाँ के नेताओं पर? क्या वे यहाँ के अधिकाँश नेताओं की घटिया हरकतों से परेशान हैं?जयपालपट्टी के शिवप्रकाश कहते हैं कि मधेपुरा में अगर लगातार अच्छी बिजली रहती है तो हम समझते हैं कि सांसद महोदय अभी मधेपुरा में हैं और जब खराब स्थिति होती है तो समझते है नेता चले गए.भिरखी के राजकिशोर मिश्र का मानना है कि बिजेंद्र यादव के कारण सुपौल में २२ घंटे बिजली रहती है और यहाँ का कोई नेता उतना सक्षम नही है, इसलिए यहाँ की ऐसी हालत है.
परन्तु ऐसा नही है कि यहाँ के नेता बिजली की स्थिति सुधारने का प्रयास समय-समय पर नहीं करते हैं,करते तो हैं-जैसे मधेपुरा बंद,बिजली कर्मचारियों के साथ मार-पीट आदि आदि.पर इनकी सुनता ही कौन है.एक कहावत है-बकरी बताहे होगी तो कितना गांव खुनेगी.यानी आप में जब क्षमता ही नही है तो आप लाख मिहनत करें कुछ नही होने वाला है.लोगों का जो भी मानना हो पर एक बात तय है कि कोई एक कारण नहीं है जिसके कारण मधेपुरा में बिजली की घटिया स्थिति है.जो भी हो,पर लोग अब भी आशान्वित हैं कि एक न एक दिन दिन बहुरेंगे और मधेपुरा भी होगा बिजली से चकाचक.
मधेपुरा में बिजली की घटिया स्थिति केलिए नेता जिम्मेवार!
Reviewed by Rakesh Singh
on
July 22, 2010
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