|वि० सं०|02 अक्टूबर 2013|
वर्ष 2012 में मधेपुरा बस स्टैंड की बंदोबस्ती में
हुई गडबड़ी में जिले के तत्कालीन एक बड़े अधिकारी की संलिप्तता उजागर हुई है.
बन्दोबती के लिए 28 मार्च 2012 को हुई डाक में मरूआहा निवासी गणेश कुमार ने 25 लाख
रूपये की बोली लगा दी थी, पर राशि जमा नहीं की. इस वजह से उसकी अग्रधन की राशि 65
हजार रूपये तत्कालीन जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्रवण कुमार पंसारी
ने जब्त तो कर लिया था पर राशि को न तो जिला परिषद् के नाजीर के पास जमा किया और न
ही कार्यालय सहायक के पास.
मधेपुरा
के आरटीआई कार्यकर्ता राजीव जोशी ने जब इस बावत सूचना की मांग की तो न तो नीचे और
न ही प्रथम अपील में ही उन्हें सूचना दी गई. पर जब श्री जोशी ने राज्य सूचना आयोग
का दरवाजा खटखटाया तो राज्य सूचना आयुक्त एस. विजय राघवन ने इस मामले को गंभीर
मानते हुए इसमें संज्ञान लिया और वाद संख्यां. 79820/12-13 में मधेपुरा के वर्तमान
जिला परिषद् के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी से इसमें स्पष्टीकरण की मांग की.
वर्तमान
मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी मोहन प्रकाश मधुकर ने राज्य सूचना आयुक्त को अपने कार्यालय के
पत्रांक 604 के द्वारा स्पष्ट किया कि इस मामले में अग्रधन की राशि तत्कालीन जिला
परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्रवण कुमार पंसारी के द्वारा जमा नहीं किया
गया है जिसके बारे में कार्यालय के पत्रांक 546 दिनांक 20.07.2013 के द्वारा
तत्कालीन जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्रवण कुमार पंसारी एवं वर्तमान
संयुक्त सचिव, गृह विभाग, बिहार, पटना को उक्त राशि को जमा करने हेतु लिखा गया है.
क्या खुद रख ली कार्यपालक पदाधिकारी ने जब्त की राशि ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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October 02, 2013
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