दरअसल कुछ ऐसे ही मामले में पिछले दिनों दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 349 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए मधेपुरा के जिला न्यायाधीश ने एक अनुसंधानकर्ता को दिन भर के न्यायिक हिरासत में रखने का आदेश दे दिया था. आज एक दूसरे मामले में भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो गई जब सिंघेश्वर थाना कांड संख्या 27/ 2021 में अनुसंधानकर्ता पु.अ.नि. अवध किशोर महतो को न्यायालय में सदेह उपस्थित होने का आदेश दिया गया.
यहां भी मामला एक जमानत आवेदन के दौरान केस डायरी दाखिल करने से संबंधित था. अग्रिम जमानत की इस याचिका में अनुसंधानकर्ता श्री महतो ने समय पर केस डायरी दाखिल नहीं किया. तब जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रमेश चन्द मालवीय ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 349 के तहत अनुसंधानकर्ता को नोटिस कर सदेह उपस्थित होने का आदेश दिया. अनुसंधानकर्ता ने डायरी जमा करते हुए कारण पृच्छा का जवाब दाखिल किया और माना कि उनसे गलती हुई है और वह बार-बार इस बात को दोहराते रहे कि भविष्य में ऐसी करती वह दोबारा नहीं करेंगे और न्यायालय उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 349 के नोटिस की जवाबदेही से मुक्त कर दे. अंत में न्यायालय में उनके बिना शर्त माफी के आधार पर यह चेतावनी देते कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं करेंगे, माफ कर दिया. इसकी सूचना पुलिस अधीक्षक को भी भेज दी गई.
(वि. सं.)

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