एक तरफ जहाँ कोरोना संकट के इस दौर में अधिकाँश बुरी ख़बरें ही आ रही हैं वहीँ कभी-कभार ऐसी भी ख़बरें आ जाती हैं जो कुछ राहत पहुंचा जाती हैं.
मधेपुरा जिले के शंकरपुर में लॉकडाउन ने बिछड़ी बेटी को अपने पिता और परिजन से मिला दिया.
मामला शंकरपुर प्रखंड के चौराहा गाँव स्थित वार्ड नं० दस का है. मालूम हो कि दो वर्ष पूर्व गंगा यादव ने अपनी पुत्री रंजन कुमारी की शादी परसा गाँव के दिनेश यादव से किया था. शादी के बाद अपने पति के साथ ये पंजाब चले गए. कुछ दिन के बाद पता चला कि उसकी बेटी कहीं खो गई है. काफी खोजबीन किया गया लेकिन उनकी बेटी नहीं मिली. सब मायूस और निराश होकर घर बैठ गए थे लेकिन सरकार के द्वारा जब कोरोना महामारी को देखते हुए लॉकडाउन घोषित कर दिया गया तो प्रथम लॉकडाउन के पांच दिन बाद वह रोड पर भटक रही थी तो उसी समय पुलिस प्रशासन की उसपर नजर पड़ी. वो काफी लाचार और बीमार थी.
तत्काल उसका सरकारी अस्पताल से ईलाज कराया गया. उसके बाद उससे जब घर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मधेपुरा जिला के शंकरपुर प्रखंड के चौराहा गाँव की रहने वाली बताई. उसकी ठेठ भाषा को सुनकर वहां पर रह रहे मधेपुरा जिले के सुबोध कुमार चौंक गये. इसका पूरा पता लेकर उसके बाद उन्होंने पुलिस के सहयोग से पटियाला जिला के नाभा शहर स्थित राधा स्वामी सत्संग भवन में रखवाया.
तत्पश्चात सुबोध कुमार और पुलिस प्रशासन ने मिलकर शंकरपुर प्रखंड के मधेपुरा टाइम्स के पत्रकार को सूचना दिया और पत्रकार के द्वारा उसके घर वाले से बात कराया. बात कराने के बाद सत्संग भवन के कमिटी के सदस्य और पुलिस प्रशासन ने आश्वासन दिया कि लॉकडाउन के बाद इसे घर पहुंचा दिया जाएगा. 24 मई को सत्संग कमिटी के सदस्य गुरूदीप सिंह, सुबोध कुमार, गाड़ी से शंकरपुर थाना पहुंचाकर उसके माता और भाई को सुपुर्द कर दिया.
वहीं बेटी के मिलते ही माँ-बेटी गले मिलकर रोने लगी. परिवार में खुशी का माहौल था. इस बावत एस.आई. रामनिवास सिंह ने बताया कि कागजी प्रक्रिया पूरी कर परिवार वाले को सौंप दिया गया है.
मधेपुरा जिले के शंकरपुर में लॉकडाउन ने बिछड़ी बेटी को अपने पिता और परिजन से मिला दिया.
मामला शंकरपुर प्रखंड के चौराहा गाँव स्थित वार्ड नं० दस का है. मालूम हो कि दो वर्ष पूर्व गंगा यादव ने अपनी पुत्री रंजन कुमारी की शादी परसा गाँव के दिनेश यादव से किया था. शादी के बाद अपने पति के साथ ये पंजाब चले गए. कुछ दिन के बाद पता चला कि उसकी बेटी कहीं खो गई है. काफी खोजबीन किया गया लेकिन उनकी बेटी नहीं मिली. सब मायूस और निराश होकर घर बैठ गए थे लेकिन सरकार के द्वारा जब कोरोना महामारी को देखते हुए लॉकडाउन घोषित कर दिया गया तो प्रथम लॉकडाउन के पांच दिन बाद वह रोड पर भटक रही थी तो उसी समय पुलिस प्रशासन की उसपर नजर पड़ी. वो काफी लाचार और बीमार थी.
तत्काल उसका सरकारी अस्पताल से ईलाज कराया गया. उसके बाद उससे जब घर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मधेपुरा जिला के शंकरपुर प्रखंड के चौराहा गाँव की रहने वाली बताई. उसकी ठेठ भाषा को सुनकर वहां पर रह रहे मधेपुरा जिले के सुबोध कुमार चौंक गये. इसका पूरा पता लेकर उसके बाद उन्होंने पुलिस के सहयोग से पटियाला जिला के नाभा शहर स्थित राधा स्वामी सत्संग भवन में रखवाया.
तत्पश्चात सुबोध कुमार और पुलिस प्रशासन ने मिलकर शंकरपुर प्रखंड के मधेपुरा टाइम्स के पत्रकार को सूचना दिया और पत्रकार के द्वारा उसके घर वाले से बात कराया. बात कराने के बाद सत्संग भवन के कमिटी के सदस्य और पुलिस प्रशासन ने आश्वासन दिया कि लॉकडाउन के बाद इसे घर पहुंचा दिया जाएगा. 24 मई को सत्संग कमिटी के सदस्य गुरूदीप सिंह, सुबोध कुमार, गाड़ी से शंकरपुर थाना पहुंचाकर उसके माता और भाई को सुपुर्द कर दिया.
वहीं बेटी के मिलते ही माँ-बेटी गले मिलकर रोने लगी. परिवार में खुशी का माहौल था. इस बावत एस.आई. रामनिवास सिंह ने बताया कि कागजी प्रक्रिया पूरी कर परिवार वाले को सौंप दिया गया है.
सुखद खबर: लॉकडाउन ने बिछड़ी बेटी को अपने पिता और परिजन से मिला दिया
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 24, 2020
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