मधेपुरा जिले के बिहारीगंज के तुलसिया से एक लावारिस बच्ची को पुलिस ने कुछ दिन पहले बरामद किया. लेकिन जब बच्ची को वे बाल सुधार गृह में खुद जमा करने पहुंचे तो उन्हें दर दर भटकने को मजबूर होना पड़ा.
उक्त बाबत थानाध्यक्ष बीडी पंडित ने बताया कि वे बच्ची को सुरक्षित जमा कराने वास्ते मधेपुरा, सहरसा व सुपौल का चक्कर लगाते रहे पर किसी संस्था ने मामले की गंभीरता को नहीं समझा बल्कि उन्हें बरगलाया गया. और बच्ची को बाल सुधार गृह में जमा भी नहीं लिया. बाद में राष्ट्रीय बाल सुधार गृह आयोग के अध्यक्ष से बात करने पर संचालन कर रहे लोगों ने अपने उत्तरदायित्व को थोड़ा-सा समझे और सही बात बताना शुरू किया. मधेपुरा के राष्ट्रीय बाल सुधार गृह के संचालकों के द्वारा हम वैसे इस बच्ची को नहीं रख सकते. इसके लिए उन्हें कुछ कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि दिन में कोर्ट लेकर आइये बच्ची को फिर उसे जमा लिया जाएगा.
बच्ची को लेकर इस प्रकार की उदासीनता को देखते हुए अब सवाल यह उठता है कि सरकार जब उपरोक्त केन्द्र के संचालन पर लाखों रुपये खर्च करती है तो फिर ये लापरवाही क्यों? बालसुधारगृह का भवन मधेपुरा में भी है, बावजूद वे सभी बच्ची को जमा लेने में टालमटोल करते रहे.
(रिपोर्ट: रानी देवी)
लावारिस बच्ची दर दर भटकने को मजबूर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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December 09, 2018
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