इंसाफ पाने की लड़ाई में आज हर बेटी की जिंदगी दांव पर लगी है. चेहरे पर डर,
दिल में आस और हाथों में मोमबत्ती पकड़े बस यही चाह रही है कि हर वह मासूम बच्ची,
हर लड़की और यहां तक की बूढ़ी मां को इंसाफ मिले जिनका बलात्कार करने वाला एक बार
भी यह नहीं सोचता कि उसकी उम्र क्या है.
हाल में आया उन्नाव और कटवा के केस ने हर
इंसान का दिल झकझोर कर रख दिया है. आज शर्म आती है कि हम ऐसे देश में रहते हैं
जहां कभी राम का जन्म हुआ था और आज उसी राम के नाम को लेकर आरोपी अपना बचाव कर रहे
हैं. दोनों ही केसों में यह संयोग की बात रही होगी कि ‘जय श्री राम’ का नारा लगाकर
लोग आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं.
राम का नाम लेकर रावण जैसा काम करने
वालों को क्या लगता है कि वह कानून और संविधान से ऊपर हैं? ना जानें राम के नाम पर
और किस तरह के आरोपों को अंजाम दिया जा रहा है और धर्म के ठेकेदार चुप हैं ताकि उन
की दुकानें ना बंद हो जाए. इंसाफ की लड़ाई लड़ते लड़ते कब तक बेटियां निर्भया बनती
जाएगी और हाथ में मोमबत्ती लिए लोग खड़े रह जाएंगे.
प्रगति राज,
छात्रा
मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म
ISOMES,
नई दिल्ली।
...आखिर कब तक बेटियाँ निर्भया बनती जाएगी: प्रगति राज
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 14, 2018
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