चिकन पॉक्स की गिरफ्त में मधेपुरा, बेबस और उदासीन दिख रहा स्वास्थ्य विभाग

मधेपुरा जिले भर में जहाँ लोग चिकन पॉक्स के आतंक के साए में जी रहे हैं वहीं मुरलीगंज प्रखंड क्षेत्र के कई इलाकों में चिकन पॉक्स और डायरिया का प्रकोप जारी है और तीन दर्जन से अधिक बच्चे सहित युवा आक्रांत हो गए हैं.
      जहाँ विगत एक महीने से चिकन पॉक्स और डायरिया का प्रकोप जारी हैं वहीँ खानापूरी में जुटे अधिकारी नहीं कर पा रहे हैं समुचित इलाज की व्यवस्था. पिछले 15 दिनों में अलग अलग जगहों पर अब तक पांच बच्चे की मौत हो चुकी है जबकि जिला प्रशासन और स्वास्थ महकमे के लोग उदासीन बैठे हैं.
         जानकारी के अनुसार मुरलीगंज प्रखंड के पौखराम गाँव में ढाई वर्षीय अजीत कुमार और ओम कुमार व गंगापुर खुशरूपट्टी गाँव में 6 वर्षीय शिवा कुमार, रतनपट्टी महादलित टोला में 8 वर्षीय सचेन कुमार और 10 वर्षीय रामचंद्र कुमार की मौत चिकन पॉक्स से हो गयी है. रूढ़िवादिता में जकड़े अनपढ़ और पिछड़े लोग अलग अलग तर्क दे रहे हैं. कई लोगों का मानना है कि ये ‘माता’ है और भगवती इंसान की परीक्षा ले रही है कि वह कितना बर्दाश्त करता है. पर इसी मानसिकता में जानें जा रही है और तब भी ऐसे लोगों को समझ नहीं आता है.
स्थानीय तौर पर अधिकारी चिकित्सक की टीम भेजने का हवाला दे रहे हैं. कई परिजनों ने स्थानीय अधिकारी और जिला प्रशासन पर समुचित इलाज नहीं करने का आरोप लगाया है.  
        मुरलीगंज प्रखंड के रतनपट्टी महादलित टोला और गंगापुर के खुशरूपट्टी का इलाका जो एक माह से डायरिया और चिकन पॉक्स से पीड़ित है वहीँ तीन दर्जन से अधिक लोग पीड़ित हैं. सरकारी स्तर पर समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं होने से पीड़ित परिजन बदहाल और बदहवास हैं. अब तक चिकन पॉक्स के चपेट में आने से रतनपट्टी महादलित टोलों में पिछले कुछ दिनों में तीन बच्चे और खुशरूपट्टी में एक बच्चे तथा पौखराम गाँव में एक बच्ची की मौत हो चुकी है. जबकि मुरलीगंज प्रखंड के बीडीओ अनुरंजन कुमार को इस बात की जानकारी नहीं है कि कब और कहाँ चिकन पॉक्स और डायरिया से मौत हुई है.
       भले ही जिला प्रशासन और राज्य सरकार सूबे में कानून व्यवस्था और शिक्षा व्यवस्था के अलावे स्वास्थ्य व्यवस्था पर काफी बल देने की बात कर रहें हों पर धरातल पर सब कुछ उल्टा ही दिख रहा है. समुचित उपचार की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने से अब लोग हार थककर अंधविश्वास का ही सहारा लेने को मजबूर हो रहे हैं. पीड़ित अभिनन्दन ऋषिदेव बताते हैं कि अब पूजा-पाठ ही एक मात्र सहारा होगा. जबकि रतनपट्टी गाँव के जद्दू ऋषिदेव और खुशरूपट्टी के रूबी देवी बताती है कि कोई देखने वाले नहीं है भगवन भरोसे हीं गरीब लोगों की जिन्दगी कट रही है. इलाज के आस में हमारे 6 वर्षीय शिवा कुमार की मौत हो गयी है. इधर बिहारीगंज, गम्हरिया और जिला मुख्यालय में भी लोग चिकन पॉक्स से आक्रान्त हो रहे हैं.
           इस बाबत सिविल सर्जन गजाधर प्रसाद ने बताया कि जिले के सभी जगहों पर चिकित्सक की टीम भेजकर समुचित इलाज करवाया जाएगा साथ हीं कई इलाकों में टीम भेजी भी गयी है. 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?: चिकन पॉक्स के खतरों के बारे में मधेपुरा के प्रसिद्द चिकित्सक और आइएमए के प्रमंडलीय सचिव डॉ. सचिदानंद यादव कहते हैं कि इसकी कोई विशेष दवा भले ही उपलब्ध न हो, पर इस वायरल इन्फेक्शन से उपजे साइड इफेक्ट्स को दवा से कम किया जा सकता है. अमूमन इससे पूरी तरह राहत दो से तीन सप्ताह में मिल जाता है पर इसके  संक्रमण का असर एक से दूसरे में न हो इसके लिए लिए रोगी के बर्तन, कपडे आदि अलग रख उचित देखभाल जरूरी है.
चिकन पॉक्स की गिरफ्त में मधेपुरा, बेबस और उदासीन दिख रहा स्वास्थ्य विभाग चिकन पॉक्स की गिरफ्त में मधेपुरा, बेबस और उदासीन दिख रहा स्वास्थ्य विभाग Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 17, 2016 Rating: 5

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