
मेले
में भीड़ दो वर्षों से अपेक्षाकृत संयमित हुई है. पिछले वर्ष से जहाँ महाशिवरात्रि
के दिन से शुरू होने वाले इस मेले के दौरान बिहार सरकार और जिला प्रशासन के सौजन्य
से ‘सिंहेश्वर महोत्सव’ मेले की भव्यता बढ़ा रहा है वहीँ
वर्षों से बाबा की पवित्र नगरी में अश्लीलता परोसने वाले ‘थियेटरों’ के पिछले साल से नहीं आने से
मेले में महिलायें अपने को ज्यादा सुरक्षित महसूस करने लगी हैं और सिंहेश्वर मेला
सभ्य तथा बुद्धिजीवियों को कुछ अधिक ही भा रहा है.
अन्य धर्मों की पसंद भी बन रहा सिंहेश्वर मेला: यही
नहीं इस बार मेले में एक बहुत ही खास बात भी देखने को मिली कि हिंदुओं के भगवान
शिव की नगरी में महाशिवरात्रि के अवसर पर लगने वाले मेले में हिंदु श्रद्धालुओं के अलावे मुस्लिमों की भी
अच्छी तादाद देखी गई. मुस्लिम महिलायें और बच्चे भी मेले का आनंद ले रहे थे.
मधेपुरा टाइम्स ने जब ऐसे परिवारों से बात की तो कई महिलाओं ने बताया कि वे काफी
दिनों से सिंहेश्वर मेला बच्चों के साथ आती रही है, पर गत वर्ष से वे यहाँ कई बार
कई घंटों के लिए आ जाते हैं. यहाँ बहुत अच्छा लगता है और वे जमकर यहाँ खरीददारी भी
करती हैं. नगर परिषद् क्षेत्र के भिरखी निवासी मो० राशीद बताते हैं कि ऐतिहासिक
मेला होने की वजह से हम हर साल यहाँ पूरे परिवार के साथ आते हैं और प्रशासन की
व्यवस्था भी दुरुस्त होने की वजह से वे यहाँ सुरक्षित महसूस करते हैं.
थियेटर बंद होने से महिलाएं खुश: कई महिलाओं ने यहाँ तक
कहा कि मेले में जब थियेटर आते थे तो पियक्कड़ों और लफंगों की भीड़ कुछ ज्यादा ही
रहती थी जिसकी वजह से हमेशा छेड़खानी की आशंका बनी रहती थी. पर इस साल वे ज्यादा
सुरक्षित होकर मेले को ‘इंज्वाय’ कर पा रही हैं. कुछ खुलकर बोलने वाली महिलाओं ने तो हमसे
यहाँ तक कह डाला कि डीएम गोपाल मीणा साहब ने ‘इन्हें’ अनुमति नहीं देकर कई घरों के तनाव को कम किया है. पति या
बेटा दूसरी या वैसी ‘औरतों’ को रात भर निहारे, ये किसे
अच्छा लगेगा?
खास रिपोर्ट: मुस्लिमों को भी खूब भा रहा है सिंहेश्वर मेला
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 12, 2015
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