धर्मान्तरण पर बवाल को तमाचा मारता मधेपुरा का एक गाँव

|कुमार शंकर सुमन/ प्रिय रंजन| 15 जनवरी 2015|
हिन्दू न बनेगा, न मुसलमान बनेगा,
 इंसान की औलाद है, इंसान बनेगा.
देश में धर्मान्तरण पर हो रहे बवाल को तमाचा है मधेपुरा का दूबियाही गांव. मधेपुरा के दूबियाही गांव में दर्जनों मुस्लिम परिवार कई पीढ़ी से कबीर पंथ को मानते आ रहे हैं. ये मुस्लिम कबीर पंथी परिवार मांस मछली और शराब का सेवन तक नहीं करते हैं और कबीर साहब के सत्संग में भाग लेते हैं.
मधेपुरा टाइम्स टीम ने जब इस गाँव का दौरा किया तो हिन्दू और मुस्लिम के बीच मेल-मिलाप और सदभाव को देखकर इस बात को परखना काफी मुश्किल था कि कौन हिन्दू हैं और कौन मुस्लिम. कई लोगों के नाम भी कुछ ऐसे ही थे. मसलन, मो० कैलू उर्फ कैलू दास, मो० छूतहरू उर्फ छूतहरू दास आदि आदि. कहते हैं कि कबीर को यहां के मुसलामानों ने पहले अपनाया और फिर बाद में हिन्दू परिवार ने भी कबीर साहब को अपना लिया. बस यहीं से शुरू हो गया साथ-साथ सत्संग का नया दौर जिसमें इन परिवारों में न कोई हिन्दू रहा और न मुसलमान. यहाँ यदि रह गए तो सिर्फ इंसान.
हालाँकि इस गांव में कुछ मुस्लिम परिवार ऐसे भी है जो अपने धर्म को ही मानते हैं. लेकिन जो कबीर साहब को मानते हैं उन पर कोई दबाव भी नहीं डाला जाता है कि वे माने या नहीं माने. ग्रामीणों का कहना है कि बहुत पहले कुछ मुस्लिम परिवार के लोग नदी पार कर रहे थे तो उसी दौरान उन्होंने देखा कि मरे हुए सूअर को मछलियाँ खा रही थी. इसे देखकर मुस्लिम समुदाय के लोग काफी आहत हुए और उसी दिन से मांस मछली व शराब त्याग कर कबीर पंथ को अपना लिये जो परंपरा आज भी यहाँ जीवंत होकर इंसानियत को धर्म मानने वालों के लिए एक सन्देश दे रही है.
धर्मान्तरण पर बवाल को तमाचा मारता मधेपुरा का एक गाँव धर्मान्तरण पर बवाल को तमाचा मारता मधेपुरा का एक गाँव Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 15, 2015 Rating: 5

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