चौसा प्रखंड मुख्यालय का दुर्गापूजा के अवसर पर लगने
वाला इस बार का मेला कई मायने में अद्वितीय रहा. चौसा में इस मेले की 50वीं वर्षगाँठ
में उमड़ी लोगों की भीड़ ने इस बार साबित कर दिया कि आधुनिकता पर आज भी भक्ति भारी है.

माँ
दुर्गा की प्रतिमा की अतिप्रशंसा इस मायने में की जा सकती है कि इन प्रतिमाओं में
माता के नौ रूपों को दर्शाया गया था. प्रतिमाएं अद्भुत छटा बिखेर रही थी. नवदुर्गा
को देखने इलाके के हजारों लोगों की भीड़ जहाँ कल तक उमड़ रही थी वहीं आज विजयादशमी
के दिन की भीड़ ने जहाँ चौसा के पिछले सारे भीड़ के रिकॉर्ड तोड़ दिए वहीं आज का
मुख्य आकर्षण रावण दहन के कार्यक्रम ने दर्शकों को दांतों तले अंगुली दबा लेने को
मजबूर कर दिया.
रावण
दहन से पूर्व राम और रावण की सेनाएं आपस में भिड़ी. दोनों सेनाओं का गेटअप इतना
तगड़ा कि कि एकबारगी तो लगा कि राष्ट्रीय स्तर के कलाकार प्रदर्शन कर रहे हैं. जूझती
दोनों सेनाओं में आखिरकार रावण की सेना परास्त हुई और फिर रावण दहन का कार्यक्रम
हुआ. रावण दहन विधि एवं योजना मंत्री नरेंद्र नारायण यादव के हाथों किया गया. इस
दौरान पूरे इलाके के लोग जमा थे.
कुल
मिलाकर 50वीं वर्षगांठ पर इस बार का चौसा का दुर्गापूजा मेला लोगों को कई यादगार
लम्हे दे गया जिसे भूलना इस इलाके के लोगों के लिए आसान नहीं होगा.
अद्भुत रहा चौसा का दुर्गापूजा मेला
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 24, 2012
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