"ये भ्रष्टाचार"///अमन कुमार

आज किसी को दूसरों से 
नहीं है रहा कोई सरोकार  
जाने क्यों जग में इतना 
बढ़ गया "ये भ्रष्टाचार" 

कह कर हमारे भ्रष्ट-जन
ये है आधुनिक युग की मार  
है लेते बना ये 
फिर किसी को लूटने का आधार 

बेईमानी है बसी इनके रग-रग  में
झूठी है इनकी सारी बातें 
शायद है यही वजह 
कि इतनी हसीन है इनकी रातें  

दिन में ये कहते हैं  
कि शराब को ना अपनाना  
पर रात की बात देखो
मैखाना हीं है इनका ठिकाना ।  

अभिनय ये करते है ऐसे
जैसे इनका कोई दोष नहीं है  
दोहराते है ये अपनी गलतियाँ
पर इन्हें कोई अफ़सोस नहीं है  

इन्सान  के भेष में 
है ये किसी हैवान से कम नहीं  
पर भ्रष्टों के लिए तो 
है ये किसी भगवान् से कम नहीं  

अपने फायदों के लिए 
ये दूसरों का खून भी पी सकते हैं  
बिना इन्सानियत का गला घोटे
भला ये कैसे जी सकते हैं   

लंदनमॉरिशस और स्विट्ज़रलैंड
जाने कहाँ-कहाँ जमा है इनके काले धन  
अपनी बैंक खाताएँ भरने को
है बेच डाला इन्होंने मानवता का कण-कण  

अब हमें इन काले-कुकर्मों को 
अच्छा सबक सिखाना है  
इन्सानियत अभी भी बची है कुछ लोगों में
ये इन दरिंदों को बताना है  

मनाना है अब हमें हर दिन-हर पल
अच्छाई और सच्चाई के त्यौहार  को  
और मिटाना है अपने आप से, इस जहाँ से
इन भ्रष्टों और भ्रष्टाचार को ।। 

--अमन कुमार, भारत
"ये भ्रष्टाचार"///अमन कुमार "ये भ्रष्टाचार"///अमन कुमार Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 24, 2012 Rating: 5

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