खोई हुई जवानी फिर से लौटाएं मधेपुरा समाहरणालय आएं

 वि० सं/25/10/2012
ये बात तो शायद समूचे जिले के लोगों को मालूम है कि मधेपुरा का जिला समाहरणालय जनता की बहुतेरे समस्याओं को सुलझाने की सबसे बड़ी जगह है. प्रखंड स्तर पर आपका कोई काम यदि नहीं हो पा रहा है तो जिला स्तर पर आप बड़ी ही उम्मीद लगा कर दौड़े चले आते हैं भले ही आज के कमोबेश चौपट सिस्टम में आपके कई चप्पल घिस जाते हैं और आपके काम नहीं होते हैं. कई लोगों का कहना है कि दौड़ैत दौड़ैत बुढाई गेलियै.
            ऐसे लोगों के लिए है अब खास खुशखबरी. शायद दीवाली बोनंजा. बुढा गए हैं? आपकी जवानी खो गयी है? तो एक बार जल्द आ जाइये मधेपुरा समाहरणालय....शायद आपकी इस समस्या का भी समाधान यहीं है..यहीं है..यहीं हैं. यदि आप पुरुष गुप्त रोग जैसे सहवास में असमर्थता, लिंग छोटा, टेढ़ा या स्त्री गुप्त रोग यथा लिकुरिया, मासिक गडबड़ी आदि (बाक़ी आप खुद खबर के साथ वाली तस्वीर पर क्लिक करके पढ़ लें, हमें लिखने में शर्म आ रही है भले ही प्रशासन को इन्हें अपनी दीवार पर रखे रहने में भरोसा हो) आदि से त्रस्त हैं तो अब तो आप घबराइए ही नहीं. सरकारी दीवार पर लिखी बातों पर आप क्या सोचते हैं?
            समाहरणालय के मुख्य द्वार पर विज्ञापनों की भरमार है. और समाहरणालय में घुसने से पहले आपको उपर्युक्त आशय का विज्ञापन समाहरणालय की ही बाउंड्री पर चस्पा मिल जाएगा. बता दें कि रोज ही जिले भर के हजारों लोग समाहरणालय इसी एक मात्र गेट से घुसते हैं और जिनकी एक नजर ऐसे विज्ञापनों पर पड़ती है उनमें से बहुत सारे लोग शर्मिंदगी महसूस करते हैं.
हम यहाँ साफ़ कर देना चाहेंगे कि ये विज्ञापन प्रशासन ने नहीं लगवाए हैं, पर समाहरणालय के गेट की दीवार पर किसी भी तरह का पोस्टर चिपकाना कानूनन अपराध है. पर सुस्त मधेपुरा प्रशासन के दर्जनों अधिकारियों की गाड़ियां लाल-पीली बत्तियाँ चमकाती हुई लोगों को बगल हट जाने को आगाह करती हुई इस गेट से अंदर घुसती है पर शायद काले शीशे में बंद और एयरकंडीशन गाड़ी में बैठे इन अधिकारियों की निगाहें समाहरणालय के इस बदरंग चेहरे पर नही जाती. शायद दुर्भाग्य से गुजरना मधेपुरा की नियति बन चुकी है.
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