बिहार में भ्रष्टाचार में कमी आई है ऐसा आंकड़ों से
तो लगता है,पर जमीन पर हकीकत कुछ और ही बयां कर रहे हैं.गावों को अँधेरे से
निकालने की योजना पर भी बिजली बोर्ड और कंपनी की मिलीभगत से पानी फिरता नजर आ रहा
है. राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना का हाल तो देखिये.इस योजना का ‘ऑनर’ बिहार राज्य विद्युत बोर्ड है
और कॉन्ट्रैक्टर हैं टेक्नो इलेक्ट्रिक एंड इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड कोलकाता.
इस योजना
के तहत बिहार सरकार तमाम ग्रामीण क्षेत्र
में बिजली के तार, पोल आदि लगवा रही है.पर ये योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता हुआ
दीख रहा है.लोगों का आरोप ये है कि टेक्नो कंपनी ने इस योजना को बिहार के ठेकेदार
को सौंप दिया है और बिहार के ठेकेदार ने इसे लोकल ठेकेदारों को दे दिया है.परिणाम
यह है कि इसमें अब घटिया तार, कमजोर पोल और घटिया ट्रांसफार्मर का प्रयोग किया जा
रहा है जिसके कारण मधेपुरा के भतखोरा, जीतपुर समेत सैंकडों पंचायत में यह लगते ही
खराब हो जाता है.पैसे बचाने की जुगत में लोकल ठेकेदार इसमें अप्रशिक्षित मजदूरों
को काम पर लगा देते हैं जो मजदूरों को मौत के मुंह में भी लेकर जा रहा है.अभी तक
बिहारीगंज, कुमारखंड आदि जगहों पर करेंट लगने से कई बिजली मिस्त्री बने युवकों की
मौत हो चुकी है.सीपीआई नेता प्रमोद प्रभाकर तो साफ़ शब्दों में कहते हैं कि इसमें
बड़ी लूट को अंजाम दिया जा रहा है जिसमें बिजली मंत्री और बड़े अधिकारी भी शामिल
हैं.
नाम न
छापने की शर्त पर बिजली विभाग के एक उच्चाधिकारी मधेपुरा टाइम्स को बताते हैं कि
इस योजना के तहत बिलकुल ही घटिया किस्म के सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है और
जाहिर सी बात है कि इसमें किये जा रहे हैं करोड़ों की लूट.
गाँवों में अँधेरा कायम रहेगा:बोर्ड और कंपनी ने मचाई लूट
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 12, 2012
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