सैफ- उर -रहमान सर दुबई में हैं ..बहुत नयी जान पहचान
है फेसबुक की कृपा से ..सहरसा(कोसी)
से ही हैं ,,इन्होने मुझको मैसेज किया - प्रणाम कैसे हैं आप ? आपका कुशल भगवान् से मनाता रहता हूँ
..धन्यवाद ...
नतमस्तक हूँ ...यहाँ आदमी दिल्ली जाता है तो तेरे को.. मेरे को...से नीचे बात नहीं करता ..जब गांव/घर वापस आता है तो एकदम से आकाशवाणी का अंग्रेज़िये समाचार सुनता है ...भूल जाता है की ८ बजे से पहले एक विज्ञापन आता है <जैक्सन पाल का रिंग कटर >पता नहीं कब से ये विज्ञापन अभी तक चला आ
रहा है ..कितना भी उड़ लो रिंग कटर को तो सही में याद रखना होगा .... खैर ... ये इंसान
अपने से कम उम्र के व्यक्ति को प्रणाम करके इज्ज़त देता है तो उस इंसान की महानता बढ़ जाती है ..और
महानता तब और बढ़ जाती है जब अपनी मिटटी की खुशबू उनमे तरोताज़ा होती है ..बहुत आदमी जाते हैं
दुबई, बैंकोक, लन्दन... जब इंडिया आते हैं तो अपने
पापा को कहते हैं - hi brother ..how are you ? लेकिन सैफ उर रहमान जैसे
इंसानों के लिए दिल से निकलती है - क्या बात .. क्या बात ... क्या बात
......दुनिया में जाति बस एक होती है और वो है इंसानियत ...खान पान /रहन सहन/
मज़हब/भाषा में भले ही अलग हो लेकिन सबसे पहले
हम इंसान हैं..इस स्वतंत्रता दिवस पर कोशिश करें कि हम सच्चे इंसान बन जाएँ फिर तो किसी और की
ज़रुरत ही
नहीं रहेगी ...सचमुच किसी आन्दोलन कि ज़रुरत नहीं होगी ..सुराज आ जायेगा ..पता नहीं क्यों ?
कुछ दुष्ट ताकत देश की एकता और अखंडता को तोड़ने
में जुटी हैं.
नतमस्तक हूँ ...यहाँ आदमी दिल्ली जाता है तो तेरे को.. मेरे को...से नीचे बात नहीं करता ..जब गांव/घर वापस आता है तो एकदम से आकाशवाणी का अंग्रेज़िये समाचार सुनता है ...भूल जाता है की ८ बजे से पहले एक विज्ञापन आता है <जैक्सन पाल का रिंग कटर >पता नहीं कब से ये विज्ञापन अभी तक चला आ

--साकेत आनंद, सहरसा
किसी आन्दोलन की ज़रुरत नहीं ..सुराज आ जायेगा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 13, 2012
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