रूद्र ना० यादव/११ जनवरी २०१२
शहर के मुख्य मार्ग से अतिक्रमण हटाने पर जिला प्रशासन भले ही संजीदा हो,पर जिलाधिकारी की नाक के सामने हो रहे अतिक्रमण पर प्रशासन लापरवाह दिखता है.समाहरणालय के ठीक सामने कई एकड़ खाली जमीन अतिक्रमण का शिकार हो चुका है.छोटे दर्जनों दुकानदारों ने इस जमीन में लगभग स्थायी रूप से जहाँ अपनी दुकानें बिठा ली हैं वहीं इसी परिसर में अब लोग निवास स्थल बनाकर रहना भी शुरू कर दिए हैं.इसमें कहीं है गैरेज तो कहीं अन्य दुकानें.परिसर में मधेपुरा का एकमात्र पुस्तकालय भूत बनकर खड़ा है जो रो-रो कर प्रशासनिक उपेक्षा की दास्ताँ कह रहा है.
सूरज तले अँधेरा वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए जिलाधिकारी या अतिक्रमण हटाने के मालिक एसडीओ द्वारा यहाँ के अतिक्रमणकारियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही न करना प्रशासन की उसादीनता को दर्शाता है.दूसरी तरफ मुख्य मार्ग पर अतिक्रमण किये दुकानदारों को हटाने की नोटिस को देखते हुए तो ऐसा ही लगता है कि यदि आम आदमी को परेशानी न हो तो बिहार सरकार की खाली जमीन को हथिया लेने में कोई हर्ज नहीं है.
डीएम की नाक के सामने हो रहा अतिक्रमण,प्रशासन बेखबर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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January 11, 2012
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