जिस्म और हवस के भेड़िये ने फिर एक मासूम की अस्मत के चिथड़े उड़ा डाले.सोनवर्षा राज थाना क्षेत्र के काशनगर गाँव की रहने वाली 9 वर्षीय बबली को उसके पड़ोस की ही रहने वाली एक हमउम्र बच्ची ने उसे बुलाकर गाँव के साहेब नाम के एक युवक के पास पहुंचा दिया जिसने उसे पहले नशीला लड्डू खाने के लिए दिया जिससे वह बेहोश हो गयी.बबली के बेहोश होते ही साहेब उसे उठाकर बगल की एक खेत में बने गड्ढे में ले गया जहां उसकी इज्जत के परखच्चे उड़ा डाले.बबली घंटों वहाँ बेहोश पड़ी रही.घटना के बहुत देर बाद जब खून से लथ--पथ बबली पर लोगों की नजर पड़ी तब घर के लोगों के साथ मिलकर उसे सोनवर्षा राज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया.घटना की सूचना मिलते ही सोनवर्षा राज थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और पीड़िता की माँ के बयान पर काण्ड दर्ज कर तहकीकात शुरू कर दी.बबली की हालत काफी नाजुक थी इसलिए परसों शाम में उसे बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया जहां अभीतक वह बेहोश पड़ी है.एक तो बबली अपना सबकुछ गंवा चुकी है लेकिन इस अस्पताल में उसके इलाज में जिसतरह से लापरवाही बरती जा रही है उससे उसे बचा पाना नामुमकिन लग रहा है.इस वाकये से दूसरे मरीज के परिजन और स्थानीय नेता भी काफी आक्रोशित हैं.
अस्पताल की बेड पर छटपटाती बबली की जिन्दगी इज्जत गंवाने के बाद भी किसी तरह बच जाए इसके लिए जंग लड़ रही है.लेकिन इस अस्पताल में अब किसी के पास दिल और जज्बात नहीं रह गए हैं.बच्ची की नाजुक स्थिति को देखकर जिस संजीदगी और गंभीरता से इसका इलाज किया जाना चाहिए वह यहाँ बिल्कुल नहीं हो रहा है.सोनवर्षा राज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर करके इसे इस अस्पताल में भेजा गया है.बबली तीन दिनों से यहाँ बेहोश पड़ी है.परिजन सहित आमलोग उसे बार--बार होश में लाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही है.बबली की माँ घटना को लेकर तफसील से जानकारी देते हुए बता रही है ना तो पुलिस इस मामले में कुछ कर रही है और ना ही इसका इलाज ही सही ढंग से हो रहा है.
काशनगर के साहेब की साहिबी ने बबली के अस्मत को तो चाक कर ही दिया अब अस्पताल के बाबू--हाकिम और मुलाजिम बबली की जिन्दगी से खेलने पर उतारू हैं.हांलांकि मीडिया की दखल--पहल के बाद बबली का इलाज बेहतर तरीके से जरुर हुआ है लेकिन वह बच सकेगी या नहीं उसकी गायरेंटी नहीं है.हमने बबली को बचाने के लिए अस्पताल में आवाज बुलंद कर रखी है अगर बबली बच जाती है तो यह भी मीडिया की पहल का ही नतीजा होगा.
अस्पताल की बेड पर छटपटाती बबली की जिन्दगी इज्जत गंवाने के बाद भी किसी तरह बच जाए इसके लिए जंग लड़ रही है.लेकिन इस अस्पताल में अब किसी के पास दिल और जज्बात नहीं रह गए हैं.बच्ची की नाजुक स्थिति को देखकर जिस संजीदगी और गंभीरता से इसका इलाज किया जाना चाहिए वह यहाँ बिल्कुल नहीं हो रहा है.सोनवर्षा राज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर करके इसे इस अस्पताल में भेजा गया है.बबली तीन दिनों से यहाँ बेहोश पड़ी है.परिजन सहित आमलोग उसे बार--बार होश में लाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही है.बबली की माँ घटना को लेकर तफसील से जानकारी देते हुए बता रही है ना तो पुलिस इस मामले में कुछ कर रही है और ना ही इसका इलाज ही सही ढंग से हो रहा है.
काशनगर के साहेब की साहिबी ने बबली के अस्मत को तो चाक कर ही दिया अब अस्पताल के बाबू--हाकिम और मुलाजिम बबली की जिन्दगी से खेलने पर उतारू हैं.हांलांकि मीडिया की दखल--पहल के बाद बबली का इलाज बेहतर तरीके से जरुर हुआ है लेकिन वह बच सकेगी या नहीं उसकी गायरेंटी नहीं है.हमने बबली को बचाने के लिए अस्पताल में आवाज बुलंद कर रखी है अगर बबली बच जाती है तो यह भी मीडिया की पहल का ही नतीजा होगा.
मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 21, 2011
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