सदर अस्पताल मधेपुरा का NICU (Neonetal Intensive Care Unit) .कहने को तो नवजात शिशुओं को गहन जांच में यहाँ रखने की व्यवस्था है,पर क्या नवजात शिशुओं की गहन जांच और सुरक्षा यहाँ की जाती है.इसे देखने मधेपुरा टाइम्स की टीम अचानक पहुंची रात के ग्यारह बजे सदर अस्पताल, मधेपुरा.झाँक कर देखा तो तीन नवजात वहां दाखिल किये गए थे जो अपनी जगह रखे हुए थे.एक बेड पर चार औरतें बैठ कर गप्पें मार रही थी,जिनमे से दो स्वेटर बुन रही थीं.बाहर खड़े लोगों से जब पूछा तो वे उन बच्चों के संबंधी थे, ने बताया कि ये दक्ष
महिलायें बच्चों की देखरेख की ड्यूटी पर हैं, पर कुछ पूछने पर कहती हैं कि हमलोग बच्चों को देख रहे हैं.कैमरे के साथ जब हम कक्ष में दाखिल हुए तो कैमरे देखकर उनके होश उड़ गए और जल्दी से वे स्वेटर आदि शाल के अंदर छिपा कर एक नवजात शिशु के पास जाकर उसे घेर देखने का बहाना करने लगी.पूछने पर उन्होंने बताया कि वे ‘ममता’ कार्यकर्ता हैं,पर उन्हें बच्चों की सुरक्षा के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं हैं.जब दाखिल बच्चों के बारे में विस्तार से पूछा गया तो उन्होंने कहा ये डॉक्टर ही जानते हैं.अस्पताल की ड्यूटी पर मौजूद डा० शेखर नाथ कहते हैं कि यहाँ सुविधाओं का अभाव है,बहुत सारे सामानों की कमी है.वे कॉन्ट्रेक्ट पर बहाल हैं.बच्चों के विषय में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है.वे बयान देने के लिए अधिकृत भी नहीं हैं.
महिलायें बच्चों की देखरेख की ड्यूटी पर हैं, पर कुछ पूछने पर कहती हैं कि हमलोग बच्चों को देख रहे हैं.कैमरे के साथ जब हम कक्ष में दाखिल हुए तो कैमरे देखकर उनके होश उड़ गए और जल्दी से वे स्वेटर आदि शाल के अंदर छिपा कर एक नवजात शिशु के पास जाकर उसे घेर देखने का बहाना करने लगी.पूछने पर उन्होंने बताया कि वे ‘ममता’ कार्यकर्ता हैं,पर उन्हें बच्चों की सुरक्षा के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं हैं.जब दाखिल बच्चों के बारे में विस्तार से पूछा गया तो उन्होंने कहा ये डॉक्टर ही जानते हैं.अस्पताल की ड्यूटी पर मौजूद डा० शेखर नाथ कहते हैं कि यहाँ सुविधाओं का अभाव है,बहुत सारे सामानों की कमी है.वे कॉन्ट्रेक्ट पर बहाल हैं.बच्चों के विषय में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है.वे बयान देने के लिए अधिकृत भी नहीं हैं.
यहाँ सवाल ये उठता है कि ऐसी विषम परिस्थिति में ये ‘ममता’ यहाँ क्या स्वेटर बुनने के लिए ड्यूटी पर लगाई गयी हैं?यदि नवजात को अचानक कुछ होता है तो क्या इन अयोग्य ममताओं के भरोसे इन शिशुओं की जिंदगी बचाया जा सकता है?जवाब हमारे पास है.यदि बच्चे को अचानक कुछ होता है और बच्चा जोर-जोर से रोने लगता है,तो ये पुचकार कर चुप कराने जायेंगी.चुप नहीं होने पर किसी अन्य चिकित्सक को खबर करेंगी.पर यदि हालत बिगड़ने पर बच्चा रो नहीं पाया तो इन ममताओं के भरोसे वह सदा के लिए मौत की नींद में सो जाएगा.
‘ममता’ से नवजात की जिंदगी को खतरा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 20, 2011
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