लोगों की छोड़ो ....तुम भी कहते हो
और स्वयं कृष्ण ने कहा है -
आत्मा अमर है !
मैं इसकी सत्यता को महसूस करना चाहती हूँ
पर सत्य की तलाश में
मुझे खाली सा लगता है
दूर दूर तक सब बेमानी नज़र आता है !
......
क्यूँ ?
मैंने अपनी आत्मा को विलीन होते देखा है
खाली डब्बे सा शरीर को चलते देखा है
जाने कब आत्मा लौटे
इस प्रतीक्षा में सांस रोके
उसकी आहटों पर ध्यान लगाए रक्खा है
...... कोई आहट सुनाई नहीं देती !
दम घुटने का एहसास होता है
तब थोड़ा सुगबुगाती हूँ -
' ओह... काफी देर से साँसें ही नहीं लीं '
एक विराम के बाद साँस लेते
उसकी रफ़्तार अजीब सी होती है
और लगता है - तबीयत ठीक नहीं !
...
इसी उहापोह में कल रात
मैंने कृष्ण का हाथ थाम लिया
.... 'भावहीन , सपाट चेहरा '
अकस्मात् अपने प्रश्नों से बाहर मैंने पूछा
'क्या हुआ कृष्ण'
...
भावशून्य आँखों से कृष्ण देखते रहे
और शब्द आंसू बन मेरी आँखों से
उत्तर बन छलकते गए -
' तो तुम भी आत्मा से विलग हो
खाली शरीर लिए
तुम आत्मा को अमर कहते रहे
मेरी तरह उसकी प्रतीक्षा में चलते रहे
और एक आशीर्वचन का विश्वास देते रहे
कि आत्मा अमर है '
है न कृष्ण ?'
-रश्मि प्रभा, पटना
आत्मा अमर है
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 28, 2011
Rating:

yes 100% truth
ReplyDeletevaah kya soch hai ?
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