मधेपुरा टाइम्स पर्सनैलिटी ऑफ द मंथ- दिसंबर २०१०
पुलिस विभाग में ईमानदारीपूर्वक कर्तव्य का निर्वहन काफी मुश्किल है.मधुरभाषी पुलिस पदाधिकारी मिलना भी अपने आप में मुश्किल है. हाँ, अभी के माहौल में कर्मठ पुलिस अफसर की भी कमी नही है. पर ये सारे गुण एक पुलिस अफसर में हो जाए तो सोने पर सुहागा.
मधेपुरा पुलिस में एक पुलिस पदाधिकारी ऐसा भी है जिसका नाम लेते ही मधेपुरा पुलिस की छवि साफ़ सुथरी नजर आती है.वर्ष २०१० में अगर अपराध मुक्त मधेपुरा बनाने का ताज आरक्षी अधीक्षक मधेपुरा के सर पर जाता है तो निश्चित रूप से इसमें योगदान कुछ अच्छे पुलिस पदाधिकारी का भी है.स्पीडी ट्राइल के द्वारा अपराधियों को सजा दिलाने में मधेपुरा पुलिस अगर कामयाब हुई है तो इसमें एक सबसे महत्वपूर्ण नाम सब इन्स्पेक्टर मो० इनामुल्लाह का है.मधेपुरा पुलिस की आज की सफलता के पीछे अप्रैल २००८ में तत्कालीन आरक्षी अधीक्षक ओ० एन० भास्कर का भी एक महत्वपूर्ण हाथ है.ओ०एन०भास्कर ने इस ईमानदार पदाधिकारी मो० इनामुल्लाह की क्षमता का अंदाजा कर ही अप्रैल २००८ में पुलिस अधीक्षक कार्यालय में ‘स्पीडी ट्राइल सेल’ का गठन किया था और तब घैलाढ़ थाना प्रभारी मो० इनामुल्लाह को वहाँ से लाकर स्पीडी ट्राइल सेल का प्रभारी बनाया था.ये कर्तव्य का जज्बा ही था जो इस सब इन्स्पेक्टर ने अपने प्रयास से गवाहों को तेजी से न्यायालय में उपस्थित कराना शुरू किया और मधेपुरा में
स्पीडी ट्राइल के द्वारा अपराधियों को सजा मिलने लगी.इस कार्य के लिए मो० इनामुल्लाह को कई बार पुलिस अधीक्षक द्वारा पुरस्कृत भी किया जा चुका है.इस वर्ष सोनपुर मेले में भी पुलिस पदाधिकारियों को दिए जाने वाले सम्मान में इन्हें नामित किया गया है.
मधेपुरा पुलिस में एक पुलिस पदाधिकारी ऐसा भी है जिसका नाम लेते ही मधेपुरा पुलिस की छवि साफ़ सुथरी नजर आती है.वर्ष २०१० में अगर अपराध मुक्त मधेपुरा बनाने का ताज आरक्षी अधीक्षक मधेपुरा के सर पर जाता है तो निश्चित रूप से इसमें योगदान कुछ अच्छे पुलिस पदाधिकारी का भी है.स्पीडी ट्राइल के द्वारा अपराधियों को सजा दिलाने में मधेपुरा पुलिस अगर कामयाब हुई है तो इसमें एक सबसे महत्वपूर्ण नाम सब इन्स्पेक्टर मो० इनामुल्लाह का है.मधेपुरा पुलिस की आज की सफलता के पीछे अप्रैल २००८ में तत्कालीन आरक्षी अधीक्षक ओ० एन० भास्कर का भी एक महत्वपूर्ण हाथ है.ओ०एन०भास्कर ने इस ईमानदार पदाधिकारी मो० इनामुल्लाह की क्षमता का अंदाजा कर ही अप्रैल २००८ में पुलिस अधीक्षक कार्यालय में ‘स्पीडी ट्राइल सेल’ का गठन किया था और तब घैलाढ़ थाना प्रभारी मो० इनामुल्लाह को वहाँ से लाकर स्पीडी ट्राइल सेल का प्रभारी बनाया था.ये कर्तव्य का जज्बा ही था जो इस सब इन्स्पेक्टर ने अपने प्रयास से गवाहों को तेजी से न्यायालय में उपस्थित कराना शुरू किया और मधेपुरा में
स्पीडी ट्राइल के द्वारा अपराधियों को सजा मिलने लगी.इस कार्य के लिए मो० इनामुल्लाह को कई बार पुलिस अधीक्षक द्वारा पुरस्कृत भी किया जा चुका है.इस वर्ष सोनपुर मेले में भी पुलिस पदाधिकारियों को दिए जाने वाले सम्मान में इन्हें नामित किया गया है.
लेक्चरर बनने का सपना देख रहे अति व्यवहार कुशल और फर्राटे से अंग्रेजी बोलने वाले मो० इनामुल्लाह आज मधेपुरा पुलिस के लिए आदर्श बने हुए हैं. मो इनामुल्लाह का बचपन काफी कष्ट में बीता.पूर्वी चम्पारण के आदापुर थाने के भेडिहारी गांव के रहने वाले मो० इनामुलाह जब तीसरी कक्षा में ही पढ़ रहे थे तब ही इनके पिता का निधन हो गया.माँ ने पढाई का भर उठाया और उससे भी ज्यादा एक सच्चा इंसान बनाने पर जोर दिया.हाई स्कूल की पढाई के बाद इन्होने अपनी पढ़ाई का भार स्वयं ही ट्यूशन पढाकर उठाना शुरू किया.पढाई में हमेशा आगे रहने वाले मो० इनामुल्लाह ने दो अलग-अलग विषयों अंग्रेजी तथा लोक प्रशासन से एम०ए० किया.जीविकोपार्जन के लिए नौकरी आवश्यक था. वर्ष १९९४ में उन्हें दो पद प्राथमिक शिक्षक तथा सब-इन्स्पेक्टर के लिए नियुक्तिपत्र मिला.उस समय इन्होने दारोगा बनना बेहतर माना.पर अभी इनका मानना है कि पुलिस विभाग में ईमानदार बने रहना काफी मुश्किल है,अत: बेहतर होता कि उस समय शिक्षक का ही रोजगार चुनता तो उनके लेक्चरर लेक्चरर बन्ने का सपना पूरा हो सकता था.
मधेपुरा टाइम्स से बातचीत में वे बताते हैं कि पुलिस विभाग रफ व्यवहार के लोगों के लिए स्युटेबल है.इस माहौल में अपने को ढाल पाने में काफी कठिनाई होती है.एक विचार वाले व्यक्ति नही मिल पाते हैं.यहाँ ईमानदारी को बनाए रखने में हर स्टेप पर समस्या उत्पन्न होती है.लोग चाहते हैं कि थाने में हर काम बेहतर ढंग से हो,पर संसाधन की कमी होती है.संसाधन की कमी भी पुलिस को भ्रष्ट बनाती है.पर वर्तमान में स्पीडी ट्राइल के प्रभारी का पद इन्हें ईमानदारी बनाए रखने में काफी सहूलियत पहुंचाती है.वरीय पुलिस पदाधिकारी द्वारा इन्हें कई बार थाना प्रभारी पद का ऑफर किया गया पर ये उसे विनम्रता से इनकार कर देते हैं,चूंकि वह पद इनके स्वभाव के अनुकूल नही है.
समाजसेवा सर्वोपरि: मो० इनामुल्लाह समाजसेवा को सबसे ऊपर मानते है.अभी तक वे मैट्रिक से ऊपर के बच्चों को अंग्रेजी पढाते है.वर्ष २००७ में जब ये सदर थाना में थे तब इन्होने बूचड़टोली के ९० बच्चों का स्कूल में नामांकन करवाया था जिनके अभिभावक ये खुद बने थे.पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी इनकी चिंता बनी हुई है.५ फरवरी १९९३ को इन्होने पर्यावरण संरक्षित करने के उद्देश्य से लोगों को जागरूक बनाने हेतु पटना से मुजफ्फरपुर तक की दौड़ लगाई थी.शराबखोरी से इन्हें सख्त नफरत है और ये इसके विरूद्ध जनांदोलन की तैयारी कर रहे है.अपने आगे के लक्ष्य के बारे में ये बताते हैं कि ये सामजिक बुराइयों के उन्मूलन के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे.समाज से जब तक शराबखोरी खत्म नही होगी तब तक साफ़ सुथरे समाज की कल्पना नही की जा सकती है.
मधेपुरा टाइम्स ऑनलाइन अखबार के बारे में ये कहते हैं कि सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए मधेपुरा टाइम्स का प्रयास सराहनीय है.मधेपुरा की घटना को दुनिया के सामने लाने और रचनात्मक पत्रकारिता के लिए मधेपुरा टाइम्स काफी लोकप्रिय हो रहा है.
मधेपुरा टाइम्स परिवार की ओर से इस ईमानदार और कर्मठ पुलिस पदाधिकारी को उनके उज्जवल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनायें.
मो० इनामुल्लाह :ईमानदार व कर्मठ पुलिस पदाधिकारी ने मधेपुरा पुलिस की बढ़ाई इज्जत
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 31, 2010
Rating:
Realy great.God bless you Md.Enamullah.Aise police padadhikari ke jajbe ko duniya salam karti hai ,karti rahegi.
ReplyDelete