सरकारी स्कूलों का सच: फर्जी उपस्थिति पर सरकार थपथपा रही अपनी पीठ?

मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत रजनी पंचायत के सरकारी स्कूलों की व्यवस्था की लचर स्थिति पर प्रखंड प्रमुख द्वारा संज्ञान लेते हुए शनिवार को मुरलीगंज प्रखंड प्रमुख मनोज कुमार साह द्वारा रजनी पंचायत के विभिन्न स्कूलों का औचक निरीक्षण किया गया.
निरीक्षण के दौरान सर्वप्रथम रजनी पंचायत के प्रार्थमिक विद्यालय रजनी ड्योढ़ी का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान विद्यालय की व्यवस्था बदतर हालत में पाई गई. विद्यालय के प्रधान शिक्षक अमर कुमार रोशन दिन के 11:30 विद्यालय में उपस्थित नहीं थे. विद्यालय के छात्र उपस्थिति के विषय में जब उन्होंने जांच की तो पता चला काफी हद तक फर्जी उपस्थिति दर्ज की गई थी. बच्चों से पूछने पर उन्होंने बताया कि कल वह विद्यालय नहीं आए थे, पर विद्यालय की उपस्थिति पंजी में उपस्थिति दर्ज थी. उस दिन 11:30 बजे तक छात्रों की उपस्थिति पंजी नहीं भरी गई थी और बिल्कुल खाली थी. उपस्थिति की संख्या बहुत ही कम थी. उपस्थिति के बारे में पूछने पर एक छात्र ने बताया कि वह पिछले एक हफ्ते से विद्यालय कि नहीं रहा है, जबकि उपस्थिति पंजी में पिछले एक हफ्ते से उसकी उपस्थिति दर्ज पाई गई. ऐसा प्रतीत होता है कि  विद्यालयों में छात्रों की फर्जी उपस्थिति दर्ज कर सरकारी रुपये जो एमडीएम के रूप में आते हैं की लूट में शिक्षक लगे रहते हैं. मध्यान्ह भोजन पंजी मांगने पर बताया गया कि मध्यान्ह भोजन पंजी यहां उपलब्ध नहीं है. विद्यालय में निरीक्षण पंजी भी उपलब्ध नहीं पाई गई.
     उसके बाद प्रखंड प्रमुख द्वारा रजनी पोखर टोला स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय रजनी झखरण पहुंचे. वहां उन्होंने पाया कि सारे शिक्षक उपस्थित थे. बच्चे खुले आसमान में पढ़ रहे थे. वहां के प्रधान ने बताया कि हमारे यहां वर्ग 1 से लेकर 8 तक की कक्षा  का संचालन  होता है. साथ ही  साथ यहां नवसृजित विद्यालय भी है जिसमें वर्ग एक से लेकर के 5 तक की पढ़ाई होती है. लेकिन दुखद बात यह है कि इतनी सारी कक्षाएं होने के बावजूद यहां पढ़ाने के लिए मात्र दो ही कमरे उपलब्ध हैं. जिसमें काफी कठिनाईयां हो रही है. कहां कार्यालय रखे कहां बच्चों को पढ़ाएं. विद्यालय प्रधान से बच्चों की उपस्थिति कम होने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि ठंड के कारण बच्चे कम रहे हैं.
     वही प्रखंड प्रमुख उत्क्रमित मध्य विद्यालय जमुन टपरा रजनी पहुंचकर विद्यालय की स्थिति का जायजा लिया तो पाया कि छात्रों की उपस्थिति वहां भी फर्जी बनी थी. वही प्रखंड प्रमुख द्वारा औचक निरीक्षण में विद्यालय के एक बंद कमरे को खुलवाया गया तो पाया कि कमरे की स्थिति बद से बदतर है. कमरे के फर्श टूटे हुए हैं वह कबाडखाना के रूप में तब्दील है. पूछने पर विद्यालय प्रधान नवल किशोर विमल ने बताया कि मैंने 2013 में इस विद्यालय का प्रभार लिया.
हमसे पहले प्रधानाध्यापक नारायण प्रसाद यादव थे जो रामपुर के रहने वाले हैं. हमने उनसे कई बार शिकायत की कि आप इस कमरे के फर्श को ठीक करवा दें पर मेरे बार बार कहने के उपरांत भी उन्होंने इस दिशा में कोई काम नहीं किया. हमने उन्हें इस आशय की सूचना तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी इंन्द्रदेव मिश्र को दी, पर किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की. इस रूम में आज तक कक्षाओं का संचालन संभव नहीं हो सका.
   प्रखंड प्रमुख मध्यान्ह एवं उपस्थिति पंजी पर विद्यालय प्रधान पर बिफर गए तथा उन्होंने विद्यालय निरीक्षण पंजी पर एमडी एम के गुणवत्ता पूर्ण नहीं होने की बात तक लिख डाली. उन्होंने विद्यालय से निकलते वक्त किचन की ओर झांका, जहां पाया कि किताबें किचन में फेंकी हुई है और दीमक खा रहा है. इन तमाम गड़बड़ियों के लिए उन्होंने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को दोषी ठहराया. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी बीआरसी में  में बैठकर समय गुजार रहे हैं जबकि उन्हें प्रखंड के शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु प्रयासरत रहना चाहिए. उन्होंने जिला शिक्षा पदाधिकारी से इसकी शिकायत करने की बात कही.
सरकारी स्कूलों का सच: फर्जी उपस्थिति पर सरकार थपथपा रही अपनी पीठ? सरकारी स्कूलों का सच: फर्जी उपस्थिति पर सरकार थपथपा रही अपनी पीठ? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 14, 2016 Rating: 5
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