संसाधन नही बना राह का रोड़ा, शुभंकर ने मैट्रिक बोर्ड परीक्षा में किया सर्वोच्च स्थान हासिल

-जिला स्कूल पूर्णिया का छात्र है शुभंकर, 500 में से हासिल किया 489 अंक

-- पिता संजय विश्वास प्राइवेट स्कूल का शिक्षक तो माता कुमकुम देवी करती हैं सिलाई -कढ़ाई

-- शुभंकर बनना चाहता है सेना में अधिकारी

---------------------------------

पंकज भारतीय

----------------------------------


पूर्णिया/ जिला स्कूल ,पूर्णिया के छात्र और जिला मुख्यालय स्थित कृष्णापुरी मधुबनी निवासी संजय विश्वास और कुमकुम देवी के पुत्र शुभंकर  ने बिहार बोर्ड मैट्रिक की वर्ष 2024 की परीक्षा में पूरे सूबे में पहला स्थान हासिल किया है।शुभंकर कि इस शानदार सफलता पर परिजनों के साथ-साथ शहरवासियों में भी हर्ष व्याप्त है। शुभंकर को बधाइयों का तांता लगा हुआ है। 


आर्थिक अभाव के बीच हौसले की उड़ान

---------------------------------

शुभंकर की यह हौसले भड़ी उड़ान है जहां साधन नही साध्य महत्वपूर्ण साबित हुआ। पिता प्राइवेट टीचर हैं तो माँ सिलाई -कढ़ाई को आर्थिक उपार्जन का जरिया बनाकर छह सदस्यों के परिवार की गृहस्थी की गाड़ी का मजबूत पहिया साबित होती रही है। सीमित आर्थिक संसाधन के बीच शिक्षा के महत्व को माँ-पिता ने कमतर नही आंका और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई को जारी रखा।जाहिर है ,मुश्किलें मजबूत इरादे से टकराती रही लेकिन शुभंकर  ने हार नही मानी।रविवार को जो परिणाम सामने आया वह शुभंकर को गुदड़ी के लाल के रूप में स्थापित कर गया।उसने बोर्ड परीक्षा में 500 में 489 अंक लेकर कीर्तिमान स्थापित किया है।


बहन को प्रतिद्वंदी मान शुभंकर करता रहा पढ़ाई 

----------------------------------

दरअसल शुभंकर की बड़ी बहन स्मृति भी पढ़ाई में मेधावी रही है।हाल ही में इंटर की परीक्षा में स्मृति को 416 अंक मिले हैं। शुभंकर हमेशा अपनी बहन को ही प्रतिद्वंदी मान पढ़ाई में जुटा रहता था।जब बहन ने अच्छे अंक हासिल किए तो मां ने सख्त ताक़ीद किया कि बहन से कम अंक उसे भी नही आना चाहिए।तब शुभंकर ने मां को आश्वस्त करते हुए कहा था कि ' टॉप 05 में जरूर स्थान मिलेगा'। लेकिन शुभंकर को उम्मीद से बेहतर सफलता मिली।


लक्ष्य आधारित पढ़ाई से मिली सफलता

------------------------------------------

       शुभंकर अपनी सफलता की रणनीति के बाबत बताते हैं कि उसने कभी भी अपनी पढ़ाई को घण्टे के तराजू पर नही तौला। जिस दिन तय कर लिया कि इस विषय के इस टॉपिक को समाप्त करना है,उसे समाप्त किया।उसने माना कि परीक्षा से पहले से ही सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखा। अपनी सफलता का श्रेय  अपने पारिवारिक सदस्यों खासकर माता-पिता को देते हुए शुभंकर कहते है कि सबों ने हमेशा हौसला अफ़जाई किया और मा-पापा ने किसी चीज की कमी महसूस नही होने दी।वहीं पिता संजय मानते हैं कि सीमित संसाधन के बीच बच्चों की पढ़ाई चुनौती थी लेकिन मैं और मेरी पत्नी ने बच्चों की पढ़ाई को प्राथमिकता में रखा।आज जब यह परिणाम आया है तो लगता है कि प्रयास सफल रहा है।


सेना में अधिकारी बनना चाहता है शुभंकर

-----------------------------------------

    खास बात यह है कि शुभंकर अन्य टॉपरों की तरह डॉक्टर, इंजीनयर या आईएएस नही बनकर सेना में अधिकारी बनकर  देश की सेवा करना चाहता है। उसकी इच्छा है कि वह एनडीए में सफलता पाकर सेना का अधिकारी बने।शुभंकर कहते हैं कि बड़ी सफलता आपके लिए चुनौती भी लाती है। हमारी कोशिश होगी कि हम अपनों की उम्मीदों पर खड़ा उतर सकें।

संसाधन नही बना राह का रोड़ा, शुभंकर ने मैट्रिक बोर्ड परीक्षा में किया सर्वोच्च स्थान हासिल संसाधन नही बना राह का रोड़ा, शुभंकर ने मैट्रिक बोर्ड परीक्षा में किया सर्वोच्च स्थान हासिल Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 31, 2024 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.