संदेह के घेरे में मोरल को-ऑपरेटिव सोशायटी: दवा बेचने का काम या निवेश का चोखा धंधा?

|नि० सं०|31 अक्टूबर 2014|
मधेपुरा जिला मुख्यालय के वार्ड नं. 18 में चल रही एक संस्था संदेह के घेरे में आ गई है. मोरल क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोशायटी लि. नाम की संस्था के खिलाफ एक निवेशक ने दावा किया है कि संस्था ने उनसे रूपये निवेश करवाए हैं और अब देने के समय बहाने बना रही है.
      सुपौल जिला के छातापुर थाना के मुहम्मदगंज के विकास कुमार आनंद ने मधेपुरा टाइम्स को सूचना देते हुए कहा है कि वार्ड नं. 18 स्टेट बैंक रोड में मछली मार्केट के सामने की गली में चल रही मोरल क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोशायटी लि. नाम की संस्था ने 17 मई 2011 को उनसे यह कहकर 5000 रूपये निवेश कराया था कि इस संस्था में भारत सरकार की हिस्सेदारी है और आप जब चाहें अपने रूपये वापस ले सकते हैं. पर इधर जब वे रूपये वापस लेने संस्था गए तो संस्था के शाखा प्रबंधक ने रूपये देने से इनकार कर दिया और कहा कि समय पूरा होने पर ही आप पैसे वापस ले सकते हैं. निवेशक विकास कुमार आनंद का दावा है कि उक्त संस्था पिरामिड स्कीम की तहत एजेंट्स को कमीशन देकर रूपये इकठ्ठा करती है जो गैरकानूनी है और भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित है. विकास वो रसीद भी दिखाते हैं जिसके द्वारा इनसे रूपये लिए गए.
      मधेपुरा टाइम्स की तफ्शीश से भी कई संदेहास्पद बातें सामने आती है. हमने जब आरोप के बावत संस्था की स्थानीय शाखा जाकर पूछताछ की तो वहां प्रदीप कुमार नाम के एक व्यक्ति से मुलाक़ात हुई जो अपने आपको ब्रांच मैनेजर बता रहा था. उसने बताया कि यहाँ सिर्फ आयुर्वेदिक प्रोडक्ट, फार्मा आदि से सम्न्बंधित दवाएं बेचीं जाती है और किसी तरह का कोई इन्वेस्टमेंट का काम नहीं होता है. दवा बेचने से सम्बंधित रजिस्ट्रेशन आदि के बारे में पूछने पर शाखा प्रबंधक कहते हैं कि इसकी जानकारी हमने जिलाधिकारी को दे दी है. कार्यालय में मौजूद एक धन सुरक्षा से सम्बंधित बैनर के बारे में पूछने पर उसने बताया कि यह पहले से ही लगा हुआ है.
      अब हमने आसपास के लोगों से पूछताछ की तो माजरा कुछ और नजर आने लगा. कई लोगों ने कहा कि ये एक नन-बैंकिंग संस्था है. मकान मालिक रोशन यादव तक कहते हैं कि कुछ पहले तक ये संस्था और अभी के लोग ही इन्वेस्ट कराते थे और अब यहाँ दवाई का काम हो रहा है. रोशन कहते हैं कि मेरे भी साढू के रूपये इन्वेस्टमेंट के तहत इसके यहाँ फंसे हैं.
      कुल मिलाकर ये संस्था संदेह के घेरे में है और अंदाजा है कि पूर्व में इसके निवेश के नाम पर लोगों से रूपये वसूल किये गए हैं. आसपास के लोगों का कहना था कि इसकी जांच जिला प्रशासन अवश्य करे ताकि सच्चाई सामने आ सके वर्ना आशंका इस बात की भी है कि कहीं बाद में लोग ठगे न महसूस करें.
संदेह के घेरे में मोरल को-ऑपरेटिव सोशायटी: दवा बेचने का काम या निवेश का चोखा धंधा? संदेह के घेरे में मोरल को-ऑपरेटिव सोशायटी: दवा बेचने का काम या निवेश का चोखा धंधा? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 31, 2014 Rating: 5

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