आस्था या अंधविश्वास: विकलांग पशु को भगवान बनाकर कमा रहे पैसे

 |एमटी रिपोर्टर|04 अक्टूबर 2013|
घर्म ने नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने वालों की कमी नहीं है. दूसरों को गधा बना कर अपना उल्लू सीधा करने की कुपरम्परा तो सदियों से चली आ रही है, पर आज मधेपुरा शहर में बाहर से आये कुछ पुजारी टाइप के लोगों ने गोवर्धन पूजा के अवसर पर तमाशा दिखा कर मधेपुरा के लोगों से अच्छे पैसे निकलवा लिए.
      मधेपुरा शहर में जब आज दोपहर में लोग मेन रोड पर निकले तो दो अलग-अलग जगह बड़ी खुली गाड़ियां लगी हुई थी और उसपर भक्ति गीत बज रहे थे. सजीधजी इन गाड़ियों के पास जाने पर लोगों ने देखा कि उसपर गाय खड़ी है जिसके दो अतिरिक्त छोटे पैर शरीर के पिछले हिस्से से बाहर हैं. बता दें कि आज काली पूजा की मार्केट मे खासी भीड़ थी और साथ ही आज गोवर्धन पूजा का भी दिन था. इस विकलांग गाय के पास ही एक आरती की थाली रखी हुई थी जिसमें लोग पैसे डालते जा रहे थे. वाहन पर बाहर से आये हुए भगवान के भक्त गाना जोर-जोर से बजा रहे थे जिससे कि पूरा माहौल भक्तिपूर्ण बन गया था. बीच-बीच मे थाली के पैसे वे लोग झोला मे रखते जा रहे थे.
लोगों की प्रतिक्रियाएं: पास खड़े एक सज्जन का कहना था कि ये अंधविश्वास की पराकाष्ठा है. जब कोई आदमी विकलांग पैदा लेता है तो लोग उसे घर के कोने मे रहने के लिए मजबूर कर देते हैं, उसे इंसान तक नहीं मानते हैं और वही लोग अभी विकलांग पशु को भगवान मानकर धर्म के नाम पर पैसे लुटा रहे हैं. हालाँकि मधेपुरा टाइम्स के सिंहेश्वर के पाठक सुधांशु झा इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया इन शब्दों मे व्यक्त करते हैं कि पुराने लोगों के लिए आस्था और नए युग के लोगों के लिए अंधविश्वास. अररिया के मनीष वर्मा भी कहते हैं कि मानो तो देव नहीं तो पत्थर. सिंहेश्वर के दीपक कुमार दीपांशु मधुबनी की पांच वर्षीया लक्ष्मी की विकलांगता की चर्चा करते हुए कहते हैं कि उसके भी कमर पर इसी तरह का कुछ था. गाँव के लोग अंधविश्वास की वजह से उसके ऑपरेशन की सलाह नहीं दे रहे थे, पर माता-पिता ने ऑपरेशन करवाया और आज वह स्वस्थ है. किरण पब्लिक स्कूल के शिक्षक मिथिलेश कुमार सीधे कहते हैं कि ये जन्म सम्बन्धी विकृत्ति है. प्रभात गुप्ता इसे टोटल अंधविश्वास की संज्ञा देते हैं. बेंगलोर में रहने वाले शिवम सिंह राजपूत कहते हैं कि सब हमारे धर्म को बर्बाद करके छोड़ेंगे, पुलिस को हस्तक्षेप करना चाहिए जबकि न्यूयॉर्क में रहने वाली मधेपुरा की सपना शांडिल्य का कहना है कि ये 'बायोलॉजिकल डिस्ऑर्डर' है और लोग अशिक्षा के कारण इसकी पूजा कर रहे हैं.
आस्था या अंधविश्वास: विकलांग पशु को भगवान बनाकर कमा रहे पैसे आस्था या अंधविश्वास: विकलांग पशु को भगवान बनाकर कमा रहे पैसे Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 04, 2013 Rating: 5

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