मधेपुरा नगर परिषद् का नरक-सड़क (भाग-1)

 |वि० सं०| 04 नवंबर 2013|
नगर परिषद् की स्थिति इन दिनों कुछ अच्छी नहीं दिख रही. सच कहा जाय तो नालों की बदहाली ने नगर परिषद् को नरक परिषद् बना कर छोड़ दिया है. आधिकांश वार्डों में घर से निकलने पर लोगों को एक बार यह जरूर सोचना पड़ता है कि किस रास्ते से जाएँ. क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें गंदगी के अम्बार को पार कर जाना होगा. बदहाली के जिम्मेवार कौन हैं ? जाहिर सी बात है यहाँ भी मनुष्य की वही आदत नजर आती है जिसके अनुसार यदि कुछ अच्छा हुआ तो मेरे कारण और बुरा हुआ तो तेरे कारण. सब एक दूसरे पर फेंक देते हैं, पर इन सड़कों से चलना तो है आम जनता को. परेशानी का इलाज कब होगा कोई नहीं जानता. जिला प्रशासन के अधिकारियों की कार्यसूची में तो जैसे इन चीजों को छूने से भी मना कर दिया गया हो.
      मधेपुरा जिला मुख्यालय के पंचमुखी चौक से मुख्य सड़क की ओर दो रास्ते जाते है. एक को सांसद मार्ग कहते हैं तो दूसरे को स्वामी विवेकानंद मार्ग. मधेपुरा टाइम्स अपने पाठकों से विनती करती है कि स्वामी विवेकानंद मार्ग से मार्केट न ही जाएँ तो अच्छा है. इस रास्ते को देखकर आपके मन में क्षोभ उत्पन्न हो सकता है. साक्षात् नरक का दूसरा रूप है येसड़क. सड़क पर नाले का पानी बुरी तरह बह रहा है जिस पानी को गौर से नहीं देखने की सलाह दी जाती है. क्योंकि मधेपुरा में कई साभ्रांत कहे जाने वाले निवासियों ने अपने शौचालय का टैंक नगर परिषद् के नाले में ही खोल रखा है.
      सिर्फ टूटे नाले और नालों से बहता पानी ही आपके लिए मुश्किलें नहीं खड़े कर रहे, बल्कि बगल में अक्सर आपको कूड़े-कचरे का अम्बार मिलेगा जिस पर सूअर आराम फरमाते आपका स्वागत कर रहे होंगे. नाले और फिसलन से बचकर चलने की जब आप जद्दोजहद कर रहे होंगे, हो सकता है ऍन मौके पर सूअर आपस में लड़ाई शुरू कर दें.
क्या कहते हैं वार्ड नं. 16 के वार्ड पार्षद: वार्ड नं. 16 और 17 के बीच से गुजरने वाली इस सड़क की बदहाली के जिम्मेवार यहाँ रहने वाले कई लोग यहाँ के वार्ड पार्षदों को बताते हैं जिनकी उपेक्षा ने उन्हें पृथ्वी पर ही नरक का एहसास दिला दिया. पर वार्ड नं. 16 के वार्ड पार्षद विशाल कुमार बबलू सड़क पर जमा कचरे के लिए बगल के वार्ड नं. 17 के कुछ लोगों पर आरोप लगते हैं. उनका कहना है कि उस वार्ड की जनता कहीं भी कचरा फेंक देती है, जबकि कचरों को एक जगह जमा करने को कहा गया है ताकि नगर परिषद् के ट्रैक्टर से उसे आसानी से उठवाया जा सके.
      हालांकि वार्ड पार्षद विशाल कुमार बबलू आशान्वित होकर कहते हैं कि अब नगर परिषद् ने इसकी सफाई का भार एक एनजीओ को दे दिया है जो बेहतर काम कर सकेगी. नालों के पुनर्निर्माण पर वे कहते हैं कि एस्टीमेट पास हो गया है, टेंडर जल्द ही निकलेगा और फिर ये समस्या नहीं रहेगी. जो भी हो, बहुत से लोग भले ही इसकी वर्तमान दशा देखकर इस सड़क से न गुजरें, पर जिनके घर यहाँ बने हैं, वे क्या करें ? इसका जवाब एक स्थानीय वृद्ध देते है कि जितना करम में लिखाकर लाया है उतना भोग तो भोगना ही पड़ेगा. (क्रमश:)
[अगली कड़ी में किसी दूसरे वार्ड की नरक-सड़क, पढते रहें: मधेपुरा टाइम्स डॉट कॉम]
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