सीडीपीओ-बड़ा बाबू गठबंधन: तबाह सेविका-सुपरवाइजर

|वि.सं.| 21 अप्रैल 2013|
आईसीडीएस यानि इंटेग्रेटिड कलेक्शन एंड दादागिरी सर्विस. चौंकिये नहीं पहले कभी आईसीडीएस का मतलब इंटेग्रेटिड चाइल्ड डेवेलपमेंट सर्विसेज हुआ करता था. पर इन दिनों घूसखोरी के चैनल की रानी सीडीपीओ और इसके प्यादे बड़ा बाबू की काली करतूत से आंगनबाड़ी में सबकुछ तबाह दीखता है. मधेपुरा जिले में अभी भी प्रति केन्द्र हजार-बारह सौ रूपये बतौर घूस दबंगई के साथ लिया जाता है और बड़े अधिकारियों की चुप्पी उनकी मिलीभगत की गंदी कहानी कह जाती है.

ना-नुकुर किया तो घर बैठ जाओगी: लेडी सुपरवाइजर का प्रैक्टिकल कॉन्सेप्ट जिले में ज्यादा पुराना नहीं है. महज कुछ वर्ष पहले इनकी नियुक्ति से पूर्व जहाँ सीडीपीओ सेविकाओं को यह कहकर धमकाया करती थी कि ज्यादा स्मार्ट बनोगी तो घर बैठ जाओगी वहीँ अब इनकी हिम्मत बढ़ चुकी है और घुमा-फिरा कर ये लेडी सुपरवाइजरों के साथ भी इसी रौब के साथ बर्ताव करती हैं. जिले की अधिकाँश सीडीपीओ अपने अधिकाँश काम लेडी सुपरवाइजर से करवाना चाहती है और खुद फ्रेंच मारने और आराम करने और पैसे के जोड़-तोड़ में लगी रहती हैं.

पॉलिसी मेकर तक सीडीपीओ की पहुँच: बहुत से लोगों का कहना है कि लाखों रूपये वसूल किये गए घूसखोरी का हिस्सा बहुत ऊपर तक भी जाता है. शायद यही वजह है कि हाल के दिनों में कई ऐसे अधिकारी स्तर के कामों को नियम बनाकर सुपरवाइजर के खाते में डाल दिया गया है ताकि वे उसे करने में टालमटोल न कर सकें. इसके अलावे सीडीपीओ के अन्य निर्देशों का पालन करना भी सुपरवाइजरों की मजबूरी होती है.

तबाह हो रही सुपरवाइजर: काम में बोझ से जिले की लेडी सुपरवाइजर तबाह हो रही हैं. यदि इनके स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े जमा किये जाएँ तो हाल के दिनों में अधिकाँश सुपरवाइजर रह-रह कर बीमार पड़ी हैं. हेडेक, डिप्रेशन. नौसिया, चिडचिडापन आदि से ग्रस्त लेडी सुपरवाइजरों का काम अब काफी मुश्किल हो चला है. अपने काम के अलावे सरकार की कई अन्य परियोजनाओं में भी इनसे काम लिया जाता है. कड़ी धूप हो या बरसात या फिर शीतलहर इन्हें हर दिन केन्द्रों पर जाना होता है. किसी को साथ लेकर जाना इनकी लाचारी है क्योंकि जब ये कार्यालय में भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है तो सड़कों पर इनकी सुरक्षा का जिम्मा कौन लेगा ?

कलक्टर की भूमिका में रंगीन बड़ा बाबू: बड़ा बाबू ??? नाम बड़ा बाबू और करतूत इतनी छोटी कि सुनकर शर्म आ जाए. वैसे तो इनका काम कार्यालय के रजिस्टरों को दुरुस्त करना होता है पर अब जिले में बदले पैटर्न में अधिकाँश जगहों पर यही बड़ा बाबू प्रति केन्द्र घूस की राशि जमा (कलेक्ट) करते हैं और सीडीपीओ के बनाए आनुपातिक नियम के मुताबिक जुड़े सभी कर्मचारियों को घूस की राशि मुहैया करते हैं. सूत्र बताते हैं कि जिले के कुछ बड़ा बाबू शराब पीकर भी कार्यालय आ जाते हैं और इनकी तिरछी निगाहें अब सिर्फ सेविकाओं पर ही नहीं बल्कि लेडी सुपरवाइजर पर भी रहती है. कार्यालय में बैठी सुपरवाइजरों और किसी काम से आई सेविकाओं से रंगीन बातें करने के फिराक में रहने वाले इन शक्सों को खुलकर जवाब देने में भी खतरा है क्योंकि उनके किये काम का लेखा-जोखा भी यही शातिर करते हैं और फिर वेतन भी तो यही बनायेंगे ? इलाके में एक कहावत प्रचलित है, सौ ह...... मरते हैं तो एक किरानी पैदा लेता है और ये बात इन पर शत-प्रतिशत लागू होती है.

पनप रही हिंसक प्रवृत्ति: पर हाल के दिनों में सीडीपीओ और बड़ा बाबू के धौंस से त्रस्त लेडी सुपरवाइजरों और सेविकाओं ने अब इनकी शिकायत अपने परिवार के लोगों के करनी शुरू कर दी है. नतीजा यह है कि अब कहीं-कहीं ये गालीगलौज और धमकियों के भी शिकार हो रहे हैं. शायद ये पानी नाक से ऊपर पहुँच जाने का परिणाम है. जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में सीडीपीओ और बड़ा बाबूओं की करतूत से आईसीडीएस में हिंसक गतिविधियां बढ़ सकती है.
      जाहिर सी बात है, इन तमाम ढील-पेंच का असर आंगनबाड़ी केन्द्रों की गुणवत्ता पर तो पड़ेगा ही और जिन गरीबों के बच्चों को ध्यान में रखते हुए ये योजना चलाई जा रही है उनका विकास तो होने से रहा, हाँ, इससे जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों के बाल-बच्चे मम्मी-पापा की हराम की कमाई से जरूर विकसित हो रहे हैं.
सीडीपीओ-बड़ा बाबू गठबंधन: तबाह सेविका-सुपरवाइजर सीडीपीओ-बड़ा बाबू गठबंधन: तबाह सेविका-सुपरवाइजर Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 21, 2013 Rating: 5

1 comment:

  1. YAH SO ANA SACH HI JISE AAJ MADHEPURA TIMES NE UJAGAR KIYA HI AGAR CDPO OR BADA BABU KI SAMATI KI JACH KIYA JAY TO SACH SAMNE AA JAYEGA

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