‘कौन रिक्शा देह पर पलटा दिया है रे...?”

|आर.एन.यादव|23 फरवरी 2013|
“एक बरस में, एक बार ही 
जगती होली की ज्वाला,
एक बार ही लगती बाज़ी, 

जलती दीपों की माला,
दुनियावालों, किन्तु, किसी दिन 

आ मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दिवाली, 

रोज़ मनाती मधुशाला”
- कवि हरिवंश राय बच्चन.
 

सूबे की प्रगति में जमकर शराबखोरी के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. शराब से राजस्व उगाही कर विकास में लगाये जा रहे हैं और विकास यूं हो रहा है कि सड़क पर बिहार धुत्त नजर आता है.
      मधेपुरा जिले में पहले जहाँ शाम ढलते ही शराब का दौर शुरू होता था अब सुबह होते ही पीने-वाले दिन के कार्यक्रम की रूपरेखा तय करने लगते हैं. पीने का दौर सुबह से शुरू हो जाता है और कभी-कभी तो अब दिन में भी सडकों पर शराबी चारों खाने चित्त हो जाते है. जिला मुख्यालय के टाउन हॉल के पास एक रिक्शाचालक नशे में इस कदर धुत्त कि रिक्शाचालक नीचे और रिक्शा ऊपर, पर उसे नशे में इतना होश कहाँ ?
      पूछने पर उसने कहा कि मैं क्यों पड़ा हूँ सरकार से पूछिए. जब पुलिस को खबर करने की बात की जाती है तो वो हडबड़ा कर थोड़ा सा सर को ऊपर उठा पाता है और कहता है, कौन रिक्शा मेरे देह पर गिरा दिया है रे..???
      जाहिर है इन्हें किसी बात का न तो संकोच है और न ही किसी का खौफ. यानी चलता रहेगा जिले में दौर-ए-शराब.
‘कौन रिक्शा देह पर पलटा दिया है रे...?” ‘कौन रिक्शा देह पर पलटा दिया है रे...?” Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 23, 2013 Rating: 5

1 comment:

  1. बहुत विचारणीय लेख | एक दम सार्थक चित्रण आज की दुनिया में बढती पीने की लत का | इसे नहीं रोका गया तो देश बर्बाद हो जायेगा | आभार

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    ReplyDelete

Powered by Blogger.